"नकाब हटाओ तो सही"
हुनर रखते हो तुम जंग जीतने का, जमानें को बताओ तो सही।
इंतज़ार में हैं खिताब तुम्हारे, खुद से खुद को मिलाओ तो सही।
सब ढूंढते हैं बहानें मुस्कुरानें के, छुपाकर आँसू आंखों में
दर्द का भंडार लिये बैठे हैं, मिलकर उन्हें हँसाओ तो सही।
चला गया छोड़कर वो अकेला तुम्हें, जिंदगी की भागदौड़ में
लौट आएगा वापस फिर से, सच्चे दिल से बुलाओ तो सही।
बचपना सी हरकतें हैं तुम्हारी, नादानियाँ कुछ यूं करने लगे हो
बच्चा छुपा है जो तेरे अंदर, बाहरी दुनिया दिखाओ तो सही।
हर किसी नें छुपा रखा है, अपने किरदार को इस शक्ल के पीछे
सच्चा इश्क ढूंढ रहे हो, मिलेगा चेहरे से नकाब हटाओ तो सही।
हालात से मजबूर है वो कि, भटक रहा है यूँ दर-दर पे
रख नौकरी पे शहर में, उसकी गरीबी मिटाओ तो सही।
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