दिल मे अपने मोहब्बत को उसकी मैं इस कदर रखता हूं
उसकी नफरतों पर भी गजल लिखने का हुनर रखता हूं__-
अनजाने रास्ते पर भी सहूलियत से चलने का हुनर रखते हैं ...
अरे हम नए भारत की नारी हैं साहब !
जिंदगी भर जिंदगी से लड़ने का सब्र रखते हैं ...
लेकिन जो जंग हो हमारी आबरू की तो,
हम अपने दुश्मनों के लिए कफन और कब्र भी रखते हैं ...-
बताओ ना कैसे नज़र अंदाज़ करूँ तुम्हें ?
तुम तो माहिर हो इस हुनर में !-
"नकाब हटाओ तो सही"
हुनर रखते हो तुम जंग जीतने का, जमानें को बताओ तो सही।
इंतज़ार में हैं खिताब तुम्हारे, खुद से खुद को मिलाओ तो सही।
सब ढूंढते हैं बहानें मुस्कुरानें के, छुपाकर आँसू आंखों में
दर्द का भंडार लिये बैठे हैं, मिलकर उन्हें हँसाओ तो सही।
चला गया छोड़कर वो अकेला तुम्हें, जिंदगी की भागदौड़ में
लौट आएगा वापस फिर से, सच्चे दिल से बुलाओ तो सही।
बचपना सी हरकतें हैं तुम्हारी, नादानियाँ कुछ यूं करने लगे हो
बच्चा छुपा है जो तेरे अंदर, बाहरी दुनिया दिखाओ तो सही।
हर किसी नें छुपा रखा है, अपने किरदार को इस शक्ल के पीछे
सच्चा इश्क ढूंढ रहे हो, मिलेगा चेहरे से नकाब हटाओ तो सही।
हालात से मजबूर है वो कि, भटक रहा है यूँ दर-दर पे
रख नौकरी पे शहर में, उसकी गरीबी मिटाओ तो सही।-
"झुक जा शज़र.., झुकने में ही भला है
बड़ा ज़ोर आज़कल आँधियों का चला है
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं... ज़िन्दगी
जीतना ग़र हुनर है तो हारना भी इक कला है"-
(हुनर)
इरादों को माप सके कोई
किस जिगर की है औकात
अँधेरा समझ खो दी अक्षर
चमकते तारों की सौगात।।
हमनें समझाया पर वो समझ-न-पाए
कह भी दिया जिसे कान सुन-न-पाए
अपना मिज़ाज है उल्फ़त का इलाज
दुश्मन ने मारा पर हम मर-न-पाए।।
याद करो तुम बिता ज़माना
तुम्हारी सज़ा बनी मेरा खजाना
सब कुछ नहीं है हाथ तुम्हारे
दुनियाँ चलती है रब के सहारे।।
बेच नहीं तू अपना ईमान
यहाँ कर्म है एक बलिदान
दोस्त है केवल दो पल का
थूकें गा फ़िर तुझ पे जहान।-
ये मेरा कुछ भी लिखना उसे हुनर लगता है,
सच कहूं मुझे ये लॉकडॉन का असर लगता हैं,
खत्म लॉकडॉन,खत्म ये कहानी हो जाएगा,
भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इन सब के लिए टाइम कहां रह जायेगा,
कभी समय निकालकर यूंही कुछ लिख दिया करेंगें,
उसे तो यूंही लगता है,हम शायर निकलेंगें।-