माना सर्वविजयी के आगे, अपनी कुछ औकात नहीं
सबको सबकुछ दे पाना, सबके बस की बात नहीं
हम हार गए तो हार गए, जो जीते वो भी दिखे कहाँ
हम हारे तो कुछ सबक लिए,वो जीतकर भी सीखे कहाँ
सर्वसमर्पण के रण में, अगर हारे भी तो हार नहीं
जिस हार में हो जीत छुपा, उस हार का कुछ सार नहीं
जो हारकर लौटा फिर रण में, वही असल विजेता है
जो रण जीता और चला गया, वो कल का बीता त्रेता है
जो चले गए फिर मिले नहीं, जो लौटे भी वो बदल गए
जो जाकर लौटे फिर मिले, वो भी थोड़ा संभल गए
इस हार की जीत के बाद, शेष कुछ बिसात नहीं
सबको सबकुछ दे पाना, सबके बस की बात नहीं-
मैं टूटा तो सही मगर हो गया काबिल,
चलो हार से महज़ कुछ तो हुआ हासिल !-
फिर कबूतऱ ही इस दुनिया मे अपनी हुकूमत करवाऐगा,
मसीहां सुकून का हर जगह तेरे खून का दंगा लडवाऐगा,
भेड़िया बदनाम होता जाऐगा...
एक अच्छा मुहरत देख वो अपनी चोच आख़री बार चुबाऐगा, और सबको उस दिन भेड़ियों का नौश करवाऐगा...
अब अंधेरे मे क्यो,
सुबह उजालों मे हड्डिया जलवाऐगा...
मसीहां वो सबकी नज़रों का अब दिल पे भी राज़ फरमाऐगा...
किसे पता था वो शांति का प्रीत कई एैसे समर करवाऐगा
दिक्त ये है की जिसके लिए हम गोली खाने को त्यार है
बंदूक ताने असल मे वो ही खडा है!!
कहानी सुनाए दो दिन ही हुए थे
Election दस दिन मे होना है और तुम जा रही हो ?
इस बार भी आपकी ही जीत होगी एसा कह नेता जी की बीवी,गाडी मे बैठ मायके को चल दी
क्या खबर थी उनहे की वो अपने घर कभी नही पहुच पाऐंगी
नेता जी एक call करते है और किसी को location समजा रहे होते है फिर मुझे उधर से ही इशारा कर कहते है की जाओ और पीछा करो उसका
मै लाल्ची चील की तरह तेजी से जाता हूं कट्टा पैंट मे फसाऐ bike पे बैठे सोच रहा था शायद,अब तो मै उनका खास हो जाउुंगा
जैसा चाहा वैसा ही सब हुआ
उस रानी को गिराते ही हर जगह शोर मच जाता है
विपकश पार्टी भी घबरा जाती है इतने सवालातों से, सब उन्हे भेड़ियों की पर्जाति का नारा लगा,बद्द पीठ देते है
और कबुतऱ ने हमारे विपक्श के बल को एक चोच मार खत्म कर दिया
उस समर बाद वही हुआ जो होना था मंत्री बन गये वो और हम खास बन गये!!-
जीत ने के लिए काबिलियत नहीं हिम्मत चाहिए
काबिलियत तो हार ने वालों के पास भी होती है-
इश्क़ में हार के लौटा, बिल्कुल बेचारा हूँ मैं,
हर दफ़ा इश्क़ के हार से यूँ हारा हूँ मैं..
क़दम दर क़दम लड़खड़ा रहा हूँ मैं,
फ़िर भी धीरे-धीरे क़दम बढ़ा रहा हूँ मैं..!
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हार जाते हो हर बार आकर ईमान पर,
फिर क्यूँ ये ख़ता बार-बार करते हो।
आने,चार आने क्या बढ़े बाज़ार में,
बारी-बारी तुम तमाम बिकते हो।-
चले आओ प्यार दूँगा रोज़ तुमको
गले का इक हार दूँगा रोज़ तुमको
ख़ुशी की कोई वजह मत ढूँढना तुम
सभी ख़ुशियाँ वार दूँगा रोज़ तुमको
तुम्हारा दिल रोज़ मुझको याद कर ले
दिलों का वो तार दूँगा रोज़ तुमको
मोहब्बत तुम आज मुझसे करके देखो
मेरे दिल का सार दूँगा रोज़ तुमको
कहीं 'आरिफ़' फिर न तुमको मिलने वाला
ख़ुशी दिल के पार दूँगा रोज़ तुमको-
कई बार में गिरा हूँ ....... उठ ने से.......पहले पहले
ख़ुदसे से ही हार चुका था में लड़ने से पहले पहले-