कितने ही ख़ूबसूरत लिख़ लू में लफ्ज़,
इनमें निखार तो तभी आता हैं....
जब आप पढ़ते हो।-
आज किसीं ने मुझसे भी पूछ ही लिया,
मुस्कुराहट प्यारी हैं कही ज़ख्म गहरा तो नही।-
"ईश्वर" ने "जमीन और आसमान" सबको दिए,
मगर कितना, ये "ईश्वर" नहीं आपके "हौसलें"
तय करेंगे..!!!!!
:--स्तुति-
दिल तोड़ने वाले हर्फ़ सजा महफिल में वाह-वाही ले रहे है
देखो साहब हमारे, आज शहर के मशहूर शायर हो गये है !!
सुना कर हमारी ही पाक मोहब्बत के किस्से वो महफिल में
खुद को आशिक कह साहब हमारे, हमें ही बदनाम कर रहे है !!
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चलो आज बैठकर बंटवारे कर ही ले सारे
कि क्या है हिस्से हमारे तुम्हारे...
ये सारी दुनिया तुम्हारी और तुम सिर्फ हमारे,
हाँ, बस हमारे...!😘-
हमारे शहर के,
सारे मरहम,
बेअसरदार,
हो गए,
कमबख्त.....
एक मरहम,
मिला भी तो सही,
मगर ना जाने,
उसके कितने,
खरीदार हो गए।-
जब बढ़ाया हाथ हमने सहारे नहीं मिले
जो कहते थे हमें अपना, हमारे नहीं मिले-
जाने क्यूँ सुकून
मिल रहा है
कोई है जो
मिल रहा है जैसे
जिंदगी को जुनून
मिल रहा है
तू रहबर है मेरा
चाहतों में बसता है मेरे
वक़्त के आईने में
दिखता है मेरे
बस तेरी झलक से
मेरा दिन बन रहा है
तुझसे मिलने के बाद
मैं खुद से मिल गई हूँ
ग़मो को छोड़
अब तुझमे घुल गई हूँ
तेरी कशिश रहती है
हर पल को मेरे
तेरे आने से
मैं सवंर गई हूं।
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