श्वेता   (@ श्वेता स्वामित्)
529 Followers · 130 Following

read more
Joined 3 July 2020


read more
Joined 3 July 2020
16 JAN 2022 AT 12:51

तराई प्रांत की स्त्रियां !

-


16 JAN 2022 AT 6:26

तुम आओगे ना! •••
[पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें]

-


26 OCT 2021 AT 6:00

सृष्टि के
सृजन के पूर्व आगमन हुआ
पुष्पों का
कमलनयन की नाभि से,

प्रकृति से पुष्प नहीं , पुष्प से प्रकृति है !

-


25 OCT 2021 AT 13:19

जब रोती है कोई स्त्री एकांत में
"एकांत" एकांत नहीं रह पाता
उसके अश्रु के बीज से अंकुरित होते हैं
सहनशीलता के कोंपल

पहुंचकर ह्रदय के उद्गम द्वार तक
सरलता से प्रवेश कर जाते है रूह में

कोंपल से किसलय में परिवर्तित होते ही
उसका मौन ,उद्वेग से भर उठता है
वो खड़ी होती है संकल्प लेती है
दुर्गा के सामने ,सावित्री बनने का ,
लांछन झेलने का ,पीड़ाएं सहने का

और अंत में
सीता बनकर समर्पित हो जाती है धरा के कोख में!

-


24 OCT 2021 AT 6:17

तेरा दिल क्यों अब भी सूना है
गम पानी एक एक बुलबुला है !

-


23 OCT 2021 AT 14:32

खत्म हो
जाते हैं कुछ रिश्ते
बनने से पूर्व ही
किसी अनहोनी के खौफ से
और प्रेम
आश्रय हीन हो जाता है
दूब पर सिमटे की बूंद की तरह !
यहां समाप्त नहीं होता किस्सा
दूब और उसने नन्हे बूंद का
ग्रीष्म बीतेगा ,
वर्षा ऋतु आएगी
और फिर सहेज
लेगा दूब उस नन्हें बूंद को
एक खौफ के साथ
की हवा का एक झोंका अलग कर देगा उन्हें

-


23 OCT 2021 AT 5:05

मुश्किलें ! तुम फिर आना
[पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़े ]

-


22 OCT 2021 AT 13:42

जिंदगी की गैलरी में
स्मरण के
फोल्डर सबसे सुखद होते हैं

इसे बार बार
अपडेट की जरूरत नहीं होती

हमारा
मस्तिष्क इसके लिए प्रशिक्षित है!

-


21 OCT 2021 AT 13:05

नेत्रहीन प्रियसी
{संपूर्ण कृति अनुशीर्षक में पढ़ें }

-


19 OCT 2021 AT 14:14

उसने कोठी बनवाई
चमकदार रत्न जड़कर,
उसने गांव के नाम बदल दिए
प्रियसी के नाम से

उसने कोड़े बरसाए
गांव के प्राचीन नाम लेने के आरोप में

मगर नहीं बचा
पाया अपने प्रेम को
उसने गीली मिट्टी के लेप लगते देखा
प्रियसी के सुनहरे बालों में
वैद्य जीवित नहीं कर पाया एक स्त्री की मृत आकांक्षाएं,
और,
वो रोता रहा कब्रगाह की मिट्टी बदन पर मल कर ,
मिट्टी उसके बदन पर बदरंग दिखती रही

वो प्रेम नहीं , सौंदर्य प्रेमी था!

© श्वेता द्विवेदी

-


Fetching श्वेता Quotes