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शारीरिक स्वास्थ्य हीं मानसिक स्वास्थ्य का मूल मंत्र है
व्यक्तित्व जीवन में आनंदात्मक और भावात्मक का अभिव्यक्ति अनुकूल रूप महत्वपूर्ण है। जिसमें सामाजिक , सांस्कृतिक , संवेगात्मक , श्रेष्ठ, एवं संतुलित , आत्म मूल्यांकन और विचार
निर्णय आदि निम्न गुणों का होना आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य में समावेश सद गुणों का गुंछा भी जरूरी है!
जिसमें जैसे;- जीवन के प्रति रुचि , आत्मगौरव का भाव , व्यवस्थित विचारधारा , विनोदशीलता तथा
सदुद्देश्य पूर्ण दृष्टिकोण आदि गहन है।
जो कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए
एक संतुलित सूत्र बन सकते हैं।-
लोग कहते है चाय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है,
तो हमने भी कह दिया,,,,हम भी खतरो के खिलाडी है जनाब-
मै बनी किसी की जिंदगी का आधार बनकर व्यापार ,
पाया उसने सारा जहाँ का प्यार,
मै कोई और नही कुल्हड़ वाली चाय हूँ मेरे यार,
मुझमे जो चाय है पीता ,
थोड़ी मात्रा मे कैल्शियम है मिलता
क्योंकि मै मिट्टी से बनता
स्वास्थ्य ही नही सेहतमंद बनता ,
मै हूँ कुल्हड़ वाली चाय,
बताओ क्या है आपकी राय ।
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शब्दों के सुलगने से धुआँ नहीं होता,
मगर दम घुटने लगता है।
शब्दों का सुलगना भी
स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।-
विश्व में स्वास्थ्य हो, सब ख़ुशहाल हो।
यहीं चाहिए कि सबका अच्छा हाल हो।
कर्म, योग और ध्यान में सब लिप्त रहे।
किसी की अंतरात्मा न कभी बेहाल हो।
उदासी का नाम ओ निशान भी न रहे।
ख़ुशियों से सबके गाल सदा ही लाल हो।
आयुर्वेद का अमृत्व हो सबके जीवन में।
आयुर्वेद चमत्कार से सब मालामाल हो।
किसी के साथ स्वास्थ्य की धाँधली न हो।
ज़हरीली दवाई से कोई भी हलाल न हो।
डॉक्टर "भगवान" हैं, आजीवन ही रहे।
उनके अंदर कोई "शैतान सँवार" न हो।
लालच और लोभ से हम दूर रहे "अभि"।
कभी भी जीवन में न कोई "मलाल" हो।-
"आयुर्वेद ; स्वास्थ्य की बात "
समस्या से समाधान की ओर
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# 29-03-2022 # जय श्रीकृष्ण # काव्य कुसुम #
# स्वास्थ्य # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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स्वस्थ रहने के लिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा।
रोगमुक्त रहने के लिए तनावमुक्त हो चैन की नींद सोना होगा।
जीवन में जीवनभर तंदुरुस्त व ऊर्जावान बने रहना भी कला है -
संतुलित व स्वस्थ जीवन जिये बिना जीवनभर रोना होगा।
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