QUOTES ON #स्वभिमान

#स्वभिमान quotes

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20 JUN 2021 AT 13:50

कुछ "पिता" समाज के सारे नियम और
परंपरा को पिछे छोड़कर चुनते हैं,
"अपनी बेटी" और "उसके सपनों को",
असल में ऐसे ही "पिता" गढ़ते हैं "पितृत्व" की परिभाषा,
जो बेटी को बचपन में "किचेन सेट" दे ना दे,
पर देते हैं "किताब,कलम", और
पढ़ाते हैं जीवन भर "अपना महत्त्व" समझने का पाठ,
उनकी कहानियों के किरदार कोई "राजकुमार" नहीं होते,
किरदार होती हैं "तेज तर्रार विरांगनाएं",
वो देते हैं मौका बेटी को "पुरी दुनिया" देखने की,
जिस से हो सके बेटी को "सही-गलत" की पहचान,
और बन सके अपने "कर्म क्षेत्र" में जो बनाना चाहती हो,
वो ससुराल जाती बेटी को "अर्थी" में ही
वापस आने की नहीं देते हैं सीख,
वो सीख देते हैं "अपना स्वभिमान" बनाए रखने की,
ऐसे पिता का भी होता है "व्याप्त आंचल"
वो भी "ममता से भरपूर"..!!!!
:--स्तुति

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11 FEB 2021 AT 22:20

प्रश्न का उत्तर प्रश्न में देते
क्या ऐसी दुविधा देखे हो?
दावानल पर रोटी मढ़ते
क्या ऐसी सुविधा देखे हो?

दिवा स्वप्न की बातों पर
नि:शब्द हो! या मौन हो?
स्वयं ही अब तय करो,
कि हममें से तुम कौन हो?

निज भावमग्नता प्लावित है क्यों?
क्या? वचनबद्धता आधी हुई है।
निर्जीव जो थे उत्साहित है क्यों?
जब परिपाटियां ही साधी हुई हैं।

अब सत्य का जब मुझे भान है
अब सर्वमूकता ही समाधान है
हर व्यथा सहन है प्रसन्नमुखा
बचा सम्मान ही अब स्वाभिमान है।

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12 SEP 2020 AT 2:03

संस्कार..
झुकना सिखाते है।

अहंकार.. झुकाना।

इन सबसे परे
स्वाभिमान..
बीच में
अड़े रहना।

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28 AUG 2017 AT 0:22

तेरे भुल जाने-ना जाने से मेरी मोहब्बत कम नही होगी,
तू लौट के आजा,बेशक ये स्वभिमान भी कभी कम नही होगा।

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24 MAY 2020 AT 9:45

अवसरवादी, लोगों से मैं रिश्ता रखना छोड़ दिया..
जिसको चाहा खुद से ज्यादा, उसने दिल को तोड़ दिया.
तू खुश है अपनी दुनिया में, मैं क्यों खुद को कैद रखूँ...
खुले आसमां के साये में, मैने भी रुख मोड़ दिया.!!!

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27 DEC 2021 AT 15:56

जीत लिया जो चाहा था सब,
पर अभिमान ना जगने पाए।
घेरें चाहे तूफाँ कितने,
स्वाभिमान ना डिगने पाए।

औरों से जो करो अपेक्षा,
वही भाव सबके प्रति आये।
समता का व्यवहार रखो तुम,
अपने हों या रहें पराये।

मत बोलो कटु बचन सूर-सा,
कभी किसी को चुभ ना जाये।
मधुरस हो वांणी में इतना,
जैसे कोई प्रीत पिलाये।

अपनी करणी, अपनी कथनी,
ही तो हमको और गिराये।
किया तुम्हारा तभी सफल है,
जब कोई दूजा इसे सुनाये।

जो कहते हैं सुन लो सबकी पर,
करो वही जो दिल को भाये।
रचते हैं इतिहास वही जो,
अपनी वीथी स्वयं बनाये।ki

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जो बनता हैं तू मर्द
तो समझ उसका दर्द
जो सहती है नारी
तो समझ मत उसे अबला बेचारी
तो ले अब ज़िम्मेदारी
और कर ले साझेदारी
नर प्रधान बहुत हुआ
अब है नारी की बारी.!!

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कली कहो फूल कहो चाहें कहो नादान मुझे
पर मुझे कमजोर समझने की भूल न करना।
माना कि मुझ में सहनशीलता का गुण है,
अपमान भी सह लूंगी इसकी उम्मीद न करना।
#औरत

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20 MAY 2019 AT 22:33

सभी का सम्मान करना
अच्छी बात है
पर, आत्मसम्मान के साथ जीने में ही
खुद की पहचान है..।

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12 OCT 2020 AT 6:42

अरमान वही रखो जिसमे
स्वाभिमान गिरवी न रखना पड़े

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