एक बेरंग कहानी..... ------------------------------------ चिल्ला चिल्ला कर रोती आवाजों में एक बिसूरते दिल की खामोशी बड़ी दर्दनाक थी बेरहम हाथों ने कुछ, मिटा दिया था वह लाल सिंदूर कोमल से हाथों में सजी वह हरी चुड़ियां तोड़ दी गई पत्थर पर पटक पटक कर.... कलाई मरोड़ कर चुड़ियां तोडने वाले लोग वैसे पत्थर से भी ज्यादा सख्त दिल के थे... केसरिया वह आग की लपटें और ही भड़क रही थी जला रही थी उसके गुलाबी सपने बालम की लाश के साथ.... वह चमकीला सुनहरा कंगना जो कभी प्यार से पहनाया गया था गोरी कलाई पर वह आज निकाला दिया बेजान हाथों ने... घसीट घसीट कर नाई ने काट दिए उसके भूरे बाल और ओढ़ दी मरी हुई लाश पर सफेद कफन और जिंदा चलती फिरती लाश पर सफेद साड़ी उस सफ़ेदी में वह स्याह कालिख छुपी थी उस समाज के दकियानूसीपन की..... जिसकी वजह से एक जिंदगी बेरंग हो गई थी।