सोने ही वाले थे हम कुछ ख्वाब देखते
वो हकीकतों का वादा कर
जगा के चले गए-
कभी कभी रोने का मन होता है
आँखें मींच सोने का मन होता है
या तो कोई मुझे न दे दिखाई
या खुद ही अदृश्य होने का मन होता है
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आ गले से लगा लूं, मेरे अकेलेपन!
दिन मुंदे ही सो गये थे पेड़ के सौ पात,
पड़ गया सोता यहां भी—बढ़ रही है रात,
छिपा नौ का अंक जो लिखते सितारे सात !
जागते बस दो जने—मैं और मेरा मन !
आ गले से लगा लूं, मेरे अकेलेपन !
Read my Caption's-
घर की पुरानी दीवारों में अब सीलन होने लगी है,
सुंदरता के साथ ये अपनी मजबूती भी खोने लगी हैं!!
संजो के रखा था अब तक ना जाने कितनी यादों को,
देख के कोने में वो संदूक टूटी, यादें भी रोने लगी है!!
ईट, पत्थर, चूने, लोहे, लकड़ी से बनाया था इसको,
टपकती छत, अब फर्श ख़ुद - ब - ख़ुद धोने लगी है!!
बचपन, यौवन, जवानी, बुढ़ापा सब देखा है यहाँ पर,
अब मौत के इंतज़ार में मेरी साँसें भी सोने लगी है!!
दु:ख, दर्द, व्याधि,थकान,अकेलापन सब देखा कुमार',
उम्र मेरी अब, इस शरीर और मकान को ढोने लगी है!!
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सोने की तैयारी है
पर नींद की तेरी यादों से यारी है
हसीन ख्वाबों में गुजरती है ,रात
करवटें बदलते रहते हैं, बेबात
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प्रेम में पड़ी स्त्री को
तुम्हारे साथ सोने से ज्यादा अच्छा लगता है
तुम्हारे साथ जागना...!!
-अमृता प्रीतम--
अच्छे दिन आ गये बॉलीवुड के वकीलों के
ड्ग्स मामले में फिल्मी सितारो के केस से मोटी कमाई होगी....😁😆😁😆
भगवान जब भी देते हैं छपर फाड़ कर देते हैं😇
सब्र रखो आपके भी अच्छे दिन आयेगें ....😇-
ये कैसे ख़्वाब है?
कल का सुकून,
आज के सुकून को
सोने भी नहीं देता-