सोचता हूँ कभी तेरे दिल मै उतर कर देख लूं
आखिर कौन है तेरे दिल मै जो मुझे बसने नही देता-
बहुत हुआ ये तन्हाई का आलम,
सोचता हूँ ,
मैं तुम्हारी सारी तन्हाई को पल-भर में मिटा दूँ ।
मेरे तुम्हारे सपने सारे चाँद - तारों से सजा लूँ ।।
अगर तुम्हारी जान मुझमे बसती है ,
तो चाहता हूँ, मैं तुममें ही अपनी जिंदगी बसा लूँ ।।-
सोचता हूं उसकी वो कातिलाना अदाएं लिख दु
कागज के किसी पन्ने पे सियाही से झूठा ही सही
फिर खयाल आया कि
अगर ये धड़कने बेजुबान हो जाता है उसकी एक झलक देख कर,
तो उस बेजुबान कागज के पन्नों पर वो महताब
क्या क़हर ढायेगी अपनी झलकियां बिखेर कर...-
मुताबिक़ ✒️
यहां लगता हीं नहीं
कुछ गलत हीं नहीं है
कुछ गलत हीं नहीं
क्योंकि सब अच्छा है
सब अच्छा हीं है
ऐसा हम सोचते हैं
ऐसा सोचते हीं है
वैसा लगता हीं नहीं-
मुद्दतों सोचता रहा आमिर, एक बात को।
आखिरी मोड़ पर क्या खोलू उस राज़ को।-
तेरी चाहत में ही डूबा रहता हूँ
तुझमें ही खोया खोया रहता हूँ ।
बस पा लूं उम्र भर के लिए अपनी जिंदगी में
बस यहीं आजकल मैं सोचता रहता हूँ ।-
आजकल बुत-कदे भी,घिर आते है,आंखों से सामने,
पर सोचता हूँ,इक-आध और,अंदर जानवर पाल लेते है ।
-
सोचता मुझको है वो, कम आजकल
हिचकियों में कहाँ वो, दम आजकल
- साकेत गर्ग 'सागा'-
बार बार वो मेरे सामने आ जाता है
जो रह गई बातें उन्हें कहने आ जाता है
सोचता ही नही वो क्या बीतेगी मुझ पर
जब वो सामने आ कर दूर चला जाता हैं....!-
शिकायत क्या करूँ
क़लम की उनसे लिखतीं वो हैं,
मग़र सोचता तो मैं हूँ।-