क्योंकि मैं एक स्त्री हूँ...
सुंदरता के नाम दांतों को नुकीला कराना पड़ता है,
लौसा के नाम लोहे के अंतवस्त्र पहनना पड़ता है,
वक्षस्थल दीर्घ न हो तो सपाट कराना पड़ता है,
महोत्सव के नाम बैलगाड़ी में बंधना पड़ता है,
विधवा हुई तो औरों के साथ सोना पड़ता है,
अछूत मान कर चौपदी से गुजरना पड़ता है,
उंगलियां कटवा कर शोक मनाना पड़ता है,
अच्छा हो नग्नावस्था में पिटवाना पड़ता है,
अर्धनग्न हो कर सम्मान दिखाना पड़ता है,
चप्पल को हाथ मे रख के चलना पड़ता है,
स्त्रीत्व अंग का अंगभंग सहना पड़ता है,
लोट्स फ़ीट से दिव्यांग होना पड़ता है,
नग्न रह कर सावन मनाना पड़ता है,
कौमार्य का सबूत देना पड़ता है,
....क्योंकि मैं एक स्त्री हूँ!
_राज सोनी
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