QUOTES ON #सोच

#सोच quotes

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25 SEP 2020 AT 22:53

जब ईश्वर ने
स्त्री को रचा
कूट कूट कर भरी
उसमें सक्षमता
जब ईश्वर ने पुरुष को रचा
उसे भी हर प्रकार सक्षम बनाया
दोनों की तुलना ना हो
इसीलिए
स्त्री और पुरुष को
एक दूसरे का पूरक किया
लेकिन
पुरुष ने स्त्री की सक्षमता को
कभी नहीं स्वीकारा
स्वीकार करने का गुण
उसने क्या केवल स्त्री में भरा ??
यदि नहीं .. !! तो पुरुष की सोच
पितृसत्तात्मक या कि पुरूषवादी
कब और कैसे हो गई ??

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20 MAR 2020 AT 14:47

रोटी पर सब्ज़ी ना सही, प्याज ऱख दिया करते है
कुछ वैंसे ही YQ पर हम, सोच ऱख दिया करते है

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19 JUN 2019 AT 20:55

शहर ढूंढा
हर गली ढूंढा
पर कहीं न पाया...
तवायफ़ की तलाश मेरी
जाकर मेरे आँखों मे खत्म हुई।।

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6 JAN 2020 AT 18:27

जैंसे बिन पंछी के
घोंसला अधूरा सा लगता है
वैंसे ही अगर दिल में दया न हो
तो सोने का दिल भी छोटा सा लगता है

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12 MAR 2019 AT 13:11

क्यूँ पत्थर बनकर मेरी राह में खड़े हो
जो हुआ सो हुआ हमारे दरमियान
अभी भी क्यूँ तुम अपनी ज़िद्द पर अड़े हो।

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6 JAN 2021 AT 17:28

क्योंकि मैं एक स्त्री हूँ...

सुंदरता के नाम दांतों को नुकीला कराना पड़ता है,
लौसा के नाम लोहे के अंतवस्त्र पहनना पड़ता है,
वक्षस्थल दीर्घ न हो तो सपाट कराना पड़ता है,
महोत्सव के नाम बैलगाड़ी में बंधना पड़ता है,
विधवा हुई तो औरों के साथ सोना पड़ता है,
अछूत मान कर चौपदी से गुजरना पड़ता है,
उंगलियां कटवा कर शोक मनाना पड़ता है,
अच्छा हो नग्नावस्था में पिटवाना पड़ता है,
अर्धनग्न हो कर सम्मान दिखाना पड़ता है,
चप्पल को हाथ मे रख के चलना पड़ता है,
स्त्रीत्व अंग का अंगभंग सहना पड़ता है,
लोट्स फ़ीट से दिव्यांग होना पड़ता है,
नग्न रह कर सावन मनाना पड़ता है,
कौमार्य का सबूत देना पड़ता है,

....क्योंकि मैं एक स्त्री हूँ!
_राज सोनी

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9 JUN 2021 AT 12:27

ब्रांडेड कफन बनाने वाली, अभी कोई कम्पनी नहीं आई
(कैप्शन पढ़ें👇👇👇)










🙏एक बार जरूर पढ़ें🙏

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30 NOV 2018 AT 15:40

तुमने कहा था
सच हो जाता है
सोचा हुआ तुम्हारा
मैं सोच रहा बरसों से
तुम्हें हिचकी भी नहीं आती

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28 JUL 2020 AT 10:52

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कुछ इस तरह
नज़रियों में फर्क देखा है मैंने।

लिखने की क्या बात करते हो,
शायरों का बाजार देखा है मैंने।

क़लम के जरिए निकालकर रख दे,गर कोई दिल अपना,
नज़र से गुजरकर लोगों को नजरअंदाज करते देखा है मैंने।

ये तो बात हुई एक पहलू की,
जिसका दूसरा पहलू भी देखा है मैंने।

पोस्ट के नाम पर चाहे वो कर रहें हो कितनी भी टट्टी,
आँखों पर पट्टी डाले,बेवकूफों को सूँघते देखा है मैंने।

कुछ इस तरह,
नज़रियों में फर्क देखा है मैंने।

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