इस मतलबी सी दुनिया में
हम बेमतलब ही जीये जा रहे हैं-
कितना हताश है ये जीवन
जिसमे जीने की चाह नहीं
जाना तो था बहुत आगे
पर अब दिखती कोई राह नहीं
घुटन सी होती है हर पल
बाकी अब कोई आस नहीं
कितना हताश है ये जीवन
जिसमे जीने की चाह नहीं
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कोशिश तो कर रहे है
तुझसे फिर से दिल लगाने को
आज फिर से दिल कर रहा है
प्यार में धोखा खाने को
ख़ुद को खो दिया है इतना
अब तरस रहें तुझको पाने को-
मेरे अनकहे अल्फाजों को
तो केह कर भी क्या होगा
दूरियां इतनी आ गई है हमारे दर्मियां
की अब साथ रह कर भी क्या होगा।-
ख़ुदा को मेरे लिए
कि हर पल तरसुं में तेरे लिए
शायद इसीलिए ये दूरियां दी हैं
इन दूरियों में कुछ छुपा होगा मेरे लिए-
कुछ अलग सी ख़ुशी है
तेरे आने से मेरे आँगन में
के तुझे मुस्कुराते देख
अपना बचपन याद आता है।-
मेरा
क्यूँ ग़ुमसुम सा हो जाता है
मैं चाहूँ या न चाहूँ मुझे
बस तेरा ख़्याल सताता है।-
हमारी बातों ही बातों में
जब आते थे छुप छुप कर मिलने
तुम मुझसे सर्दियों की रातों में
खो जाया करते थे
हम इक दूजे कि आँखो में
जब चलते थे हम हाँथ थाम कर
इन राहों पर बरसातों में
बातें उलझ कर रह जाती थी
हमारी बातों ही बातों में।
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को आप नहीं समझेंगे जनाब
बिना किसी उम्मीद के
आपको प्यार किए जा रहे हैं
आपको पता भी नहीं
हम आपके लिए जिए जा रहे हैं!-