हम शहीद हैं दिलों से कहाँ जाएंँगे!
तुम्हारी आँख के तारों में झिलमिलाएंगे!
यही धरा गगन वतन यहीं समाएँगे!
तुम्हारी याद में, गीतों में लौट आयेंगे!
गला कटे लहू बहे नहीं कोई ग़म है,
मिटेंगे देश पर हमारे लिए क्या कम है,
लहू से अपना वतन हम चमन बनायेंगे,
अरे शहीद हैं! कलियों में मुस्कुराएंगे,
हमारी आन-बान-शान बस वतन ही है,
हमारे नाम की पहचान बस वतन ही है,
हम इस तरह से मौत को गले लगायेंगे,
के जाते - जाते भी तिरंगे ही लहरायेंगे।-
मेरे स्कूल में लगता है ये तिरंगा
पापा इसमें लिपटे क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
पापा इतनी नींद में सोये क्यों आये है
हर बार मुझे दौड़कर गले लगाते थे
इसबार पापा ख़ामोश क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
पापा को फूलों के हार क्यों पहनाये है
जब भी आते थे पापा मुझे पुकारा करते थे
'चिन्टू-चिन्टू' कहने वाले चुप क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
हरबार तू खुश होती, आज आँसू क्यों आये है
दादा-दादी गले लगाते थे पापा को हर बार
आज सब रोते हुए नजर क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
गांव पूरा पापा को शहीद क्यों बताये है
माँ बोलो ना, तुम क्यों रो रही हो
ये सब तेरा सिंदूर मिटाने क्यों आये है
वो मासूम चेहरा पूछे अपनी माँ से
पापा तिरंगे में लिपटे क्यों आये है-
कैसे याद न करें हम
हमारे लिए दी गई तेरी जान की कुर्बानी को।
कैसे भूला दें हम
तोफे में दी हुई तेरी आजादी की निशानी को।
खेली है तुमने अपने खून की होली
बस हमारे लिए।
खाई है सीने पर तुमने बंदूक की हर गोली
बस हमारे लिए।
और क्या लिखूं तुझ पर
तेरा व्यक्तित्व ही इतना महान है।
मेरे देश पर मिटने वाले सैनिक
तुझे कोटि-कोटि प्रणाम हैं।-
सीमा पर सैनिक कुछ ऐसे ईद मनाते हैं
दुश्मन की गोली को सीने से लगाते हैं-
नमन है उन मात-पिता को,
जिन्होंने ऐसे वीर दिये हैं।
जब भी गद्दारों ने वार किए तो,
उन्हीं वीरों ने चीर दिए हैं।।
दूर अपनों से रहकर भी,
कैसे कड़वे घूँट पी रहे हैं।
ये बॉर्डर पे खड़े हुए हैं,
तभी तो हम जी रहे हैं।।
सरहद पे लहराता तिरंगा देख,
ये छाती गर्व से तनी हुई है।
कर्ज़दार है धरती उन शहीदों की,
जिनकी शहादत से ये बनी हुई है।।-
सीमा पर एक बुढ़िया को देख कर सैनिकों ने पूछा- "कौन हो तुम, यहाँ क्या कर रही हो?"
उसने कहा - " मैं भारत हूँ, सालों से तुम मेरी रक्षा कर रहे हो, आज रक्षा बंधन है, मैं तुम्हें राखी बाँधने आई हूँ।"-
सैनिक
आज फिर मेंरे वतन के वास्तें,
मेरे देश के लाल शहीद हुए,
दुश्मन पर सीना ताने, वो वीर निराले है,
वीर है, सच्चे सेवक, वतन के
वो बेखोफ मतवाले है।
है, मातृभूमी के वीर यौद्धा
अपनी मां के लाल प्यारे है,
आज हुई है, धरा दु:खी यह
यह उसके राजदुलारे हैं।
कहते हैं, संदेश में मां को-
मां मै जल्दी आऊँगा,
तेरा और धरती का
कर्ज में वापस चुकाऊगा।
देते है, पत्नि को वादा,
लाल बिंदी, लाल साड़ी पहनकर
वरवधू बनकर रहना,
था,पति शहीद,बहादुर यह सभी से कहना
ना हार मानना, जीवन में
मन का सिन्दूर लगाऊँगा
है,मेरी अद्धांगिनी,तू
जीवन भर साथ निभाऊंगा
पिता को दें संदेशा- कहते है, बापू मेरे
अगले जन्म तेरा ही, बेटा बनकर आऊंगा।
बहना मेरी, यह कलाई तेरी ही राखी पाएगी
तेरा हंसता चैहरा,सुंकू से नींद दिलाएगी ।
जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳-
ज़रा देखो कि मेरी मौत ने भी तब बुलाया है।
थपक के आज बरसों बाद माँ ने जब सुलाया है।।-