आधुनिक कवि, साहित्य का
उपयोग नहीं,
उपभोग कर रहे हैं!-
गणित के किताबों में
ना जाने कितने सूत्र लिखे हुए हैं,
मगर जिंदगी को जीने का सूत्र
कहीं भी ना लिखा हुआ है।।-
बदलाव का अक्सर लोग विरोध किया करते है ।
उन्हें नही पता होता,जिंदगी का नाम की बदलाब है ।
हर पल ,हर घडी कुछ न कुछ बदलता रहता है ।
कभी हम बदल जाते है ,कभी कोई और बदल जाता है
मौसम भी तो बदलता रहता है ।
लोग भी बदलते रहते है।
-sandhya rajak
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फुटने दो नव शब्दों को
शब्द से निर्मित वाक्य हो
वाक्य पिरोकर एक सूत्र में
काव्य की माला पटल पर बो
शब्द गढ़ने में नहीं हिचको
दीप जलाकर शब्द कहो
शब्द ही है शस्त्र शास्त्र
युद्ध की बुद्ध भिबो
शब्द रागिनी शब्द राग
गुह्यतम वृहत्तर शब्द भाग
शब्द की भक्ति शब्द की शक्ति
शब्द परमेश्वरी जप-तप अनुराग
शब्द कलश की पथ्य विश्वास
शब्द चौमुखी दीपक आस
शब्द शाब्दिक अनुवाद
शब्द से न हो निराश
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आदमी हर एक चीज़ को पकड़ लेता है, अब बात चाहे 'मुक्ति' की ही क्यों न हो।
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झाड़ू जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह कचरा साफ़ करती है.!
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है,तो खुद कचरा हो जाती है!
इसलिए हमेशा सगंठन से बँधे रहे, बिखर कर कचरा न बने!-
न जाने किस सूत्र में बांध गया मधुसूदन
मुक्त भी नहीं ,और उसके साथ भी नहीं-