Vaidehi Rajput   (@_उन्मुक्त_चित्त..)
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Joined 20 January 2019


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Joined 20 January 2019
26 JAN 2022 AT 9:25

स्वाधीनता से परे
स्वतंत्रता से पृथक
स्वायत्तता के विपरित
केवल पति के हित
ससुराल की बेड़ियों बंदिशों में जकड़ी
सभी महिलाओं को भी
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

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25 JAN 2022 AT 14:09

मुझे एक वर चाहिए..

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22 JAN 2022 AT 14:01

बस कुछ दिन हैं शेष
ये दिन हैं विशेष
किसी प्रियतम की बाहों में खो जाऊँगी
या मिट्टी को नमन कर पंचतत्व की हो जाऊँगी
मैं वैदेही
नियति है एही..

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20 JAN 2022 AT 17:22

अभिषेक तिलक एवं अंबुबाची
रक्त रज एवं पृथक पर्यायवाची
कामाख्या व्याख्या सबरीमाला
सुनो देवालय में लगा दो ताला

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18 JAN 2022 AT 14:58

बिखरा माला टूट-फूट कर
मनका मनका मोती मोती
टूट गई मैं हृदय के तल से
पुनः कैसे मैं स्वप्न संजोती
खंड-खंड हुआ आस अनायास
कुछ नहीं शेष बचा मेरे पास
मन का मुंडेर भी रिक्त हुआ अब
विफल हुएँ मेरे सभी प्रयास
सकल शिराओं में शोणित जम गया
अंग अंग में पीड़ा अपार
प्राण आयु जीवन भी कम गया
चहुंओर से हुई मेरी हार..

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13 JAN 2022 AT 16:11

क्षीर सागर से भी पवित्र होती हैं आँखें
और उन आंखों में तैरता हुआ जल
श्री हरि का विश्राम स्थल हैं मेरी आँखें
मैं कैसे बहा दूँ डूबो दूँ समग्र भूतल

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11 JAN 2022 AT 8:48

भय हृदय में पल रहा है
जैसे जैसे दिन ढल रहा है
न कोई आशा न उम्मीद है
देह पंचतत्व में जल रहा है

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6 JAN 2022 AT 20:02

बच्चे के उछालने के पश्चात की मुस्कान में
जितना विश्वास होता है
गिरने न देने का
पृथ्वी की परिधि एवं गुरुत्वाकर्षण में
जितना विश्वास होता है
पुनः वापस आने की
सफ़र पर घर से बाहर गये बच्चों के लिए
माँ को जितना विश्वास होता है
सकुशल लौट आने की
भक्त को भगवान में देवालय में
जितना विश्वास होता है
हर विपदा से निकाल लाने की..

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4 JAN 2022 AT 17:10

कुछ पुरुष पकी दाढ़ी में भी अच्छे लगते हैं
भले चालीस के हों लेकिन बच्चे लगते हैं

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31 DEC 2021 AT 16:28

धन्यवाद मान्यवर
हाँ
वेश्या ही हूँ
🙏

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