ख्वाब सुनहरे सजा रही हुँ,,,,,
यादो की गठरी को यादों से बना रही हुँ,,,,,
तु देता है खुशियों के ख्वाब,,,,
मोतिया समझ माला बना रही हुँ,,,,,
ख्वाब सुनहरे सजा रही हुँ ।-
मन में बासंती उल्लास
और खाली है समूचा आकाश,
चलो करें रात से आलिंगन
और पाएं सुनहरे ख्वाब।।-
"आँखों में हैं कई ख़्वाब सुनहरे।
तेरे बिना नहीं होंगे पूरे।।"
- Anjali Singhal
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किसी को मंज़िल तक पहुंचायें
किसी के राह में बिखर गये,
कहीं-कहीं पर धूमिल-धूमिल
कहीं रुपहले होते हैं।
ख्वाब हैं आखिर टूट जायं तो,
नये ख्वाब तुम बुन लेना;
माला गर टूट जाय तो
मोती नये पिरोते हैं।-
सुनहरे कल के लिए ऐसे पल अपनो को समेट सकता हूँ,
कुछ दिनों के लिये अपनो के साथ घर मे बैठ सकता हूँ।-
ये यौवन भी सुनहरे बचपन की तरह चला जायेगा
जी लो जिंदगी जी भरकर ये लम्हा फिर न आएगा।-
सो गए हैं अब सारे अरमान मेरे
बेजान दरख़्त पे कौन आ ठहरे
रंगीन मौसम भी बदरंगी बिखेरे
मुरझा गए फूल इश्क़ के सुनहरे
हंसी पर लगे उदासियों के पहरे
सूखी पड़ी वो आँसुओं की नहरे
पत्थर हो गए जब दिल ओ चेहरे
चाहतों के समंदर हुए बेहद गहरे
मिलते मोती जहां फैले हुए अंधेरे
उजले दिन डूबे होती ही नहीं सहरे
सो गए हैं अब सारे अरमान मेरे-
हृदय की अनकही बातें कभी जब लब पर आती हैं
स्वरों में कम्पन होती है, स्वयं पलकें झुक जातीं हैं
कहीं भी दिल नहीं लगता मिलन की तीस सताती है
कभी जब तन्हाई मे किसी की याद आती है
प्रात: खुशियों से भर जाती शाम अभिसार हो जाती है
दिन उदास रहता है और रात मे नींद न आती है
निगाहें चंचल हो जाती हैं नज़र चौखट पर रहती है
ख़्वाब की दुनिया सजती है अधर स्मित सी रहती है
कभी जो संगम नहीं होता गात अलसाई रहती है
निगाहें चार होते ही सतत विलसाई रहती हैं....
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मैं अपने सुनहरे भविष्य की,
सपने देख रहा हूँ जागते हुए
और उधर दो पल चैन की नींद
सोने को दिखाई देते हैं लोग भागते हुए।-