यूँ गिरा कर बार-बार उठाया ना कर
तू खुदा है मुझे बताया ना कर
यूं किनारों से उठाकर हर बार डूबा देता है तू
तेरी कश्ती है हर बार मुझ पर आजमाया ना कर
जो दिया तूने सवाल उस पर नहीं
अपना कहूं क्यों जो चला जाएगा
शायद आएगा वह एक बार फिर
बार-बार बताया ना कर
लौट चुका होगा शायद वह इस दुनिया से
इस तरह बार-बार मुझे वो रास्ता दिखाया ना कर....
-