इल्तिज़ा है खुशबूओं से
छोड़ दें हवाओं के पीछे जाना,
लोग गुलाबों में इत्र डाल बेच रहे।।-
निशी अनल
(निशी)
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शब्द ही मेरा सब है
Joined 25 December 2020
26 OCT 2024 AT 5:44
20 OCT 2024 AT 21:51
शुभ्र, श्वेत, बेदाग, धवल शरद,
झरते सप्तपर्णी की मोहक गंध
ये खुशबूओं वाली सादगी
और ताजगी की कुशादगी
अब नई ऋतु का स्वागत है ।।-
7 OCT 2024 AT 22:01
कितनी सादगी भरा है
ऋतुओं का त्योहार ,
कितना शिष्ट विनीत
कुसुम लताओं का व्यवहार।
झुके कांस, औंधी मधुमालती
स्वाभिमान को शाख पर छोड़
धरा पर बिखरे हरसिंगार ।।-
28 SEP 2024 AT 19:08
चलो करते हैं मुलाकात
जाती हुई बारिशों के साथ,
थोड़ी रो पड़ेंगी वो
थोड़ा भींग लेंगे हम।।
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24 SEP 2024 AT 4:25
मुझे अपनी राह बनाने दो
ओ मुसाफिर,!
बड़ी फिसलन है उन बनी बनाई सड़कों पर।।-
19 SEP 2024 AT 22:07
मिल लिया करते हैं
उदासियों से भी हम
खुशियों के मौसम में।।।
यूं बेवजह किसीको नाराज नहीं किया करते।।-