निशी अनल   (निशी)
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शब्द ही मेरा सब है
Joined 25 December 2020


शब्द ही मेरा सब है
Joined 25 December 2020
26 OCT 2024 AT 5:44

इल्तिज़ा है खुशबूओं से
छोड़ दें हवाओं के पीछे जाना,
लोग गुलाबों में इत्र डाल बेच रहे।।

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20 OCT 2024 AT 21:51

शुभ्र, श्वेत, बेदाग, धवल शरद,
झरते सप्तपर्णी की मोहक गंध
ये खुशबूओं वाली सादगी
और ताजगी की कुशादगी
अब नई ऋतु का स्वागत है ।।

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19 OCT 2024 AT 6:10

खूबसूरत हो जाएंगे ये लम्हे भी
बस बीत तो जाने दो ।।

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7 OCT 2024 AT 22:01

कितनी सादगी भरा है
ऋतुओं का त्योहार ,
कितना शिष्ट विनीत
कुसुम लताओं का व्यवहार।
झुके कांस, औंधी मधुमालती
स्वाभिमान को शाख पर छोड़
धरा पर बिखरे हरसिंगार ।।

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1 OCT 2024 AT 4:38

बड़े आम से लोग हैं हम
सुकून भी खरीदते हैं
परेशान होकर।।।

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30 SEP 2024 AT 4:52

मुझमें भी एक सफर है उम्र का
और सब कहते हैं
हम बदल गए हैं।।।।

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28 SEP 2024 AT 19:08

चलो करते हैं मुलाकात
जाती हुई बारिशों के साथ,
थोड़ी रो पड़ेंगी वो
थोड़ा भींग लेंगे हम।।

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24 SEP 2024 AT 4:25

मुझे अपनी राह बनाने दो
ओ मुसाफिर,!
बड़ी फिसलन है उन बनी बनाई सड़कों पर।।

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20 SEP 2024 AT 21:35

उनके दर्द पर कई अफसाने लिखे गए
हमारा सब्र
बस एक शब्द में था।।।

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19 SEP 2024 AT 22:07

मिल लिया करते हैं
उदासियों से भी हम
खुशियों के मौसम में।।।
यूं बेवजह किसीको नाराज नहीं किया करते।।

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