कैसा हो गया हूं मैं, पहचान छीन सी गई है।
मानो किसानों की मेहनत की फसल,
किसी आंदोलन की भेंट चढ़ गया हो।।-
Stay Hungry, Stay Foolish🙏🏻
It is better to conquer yourse... read more
🙂
रिश्तों में
खुशी का मर्म
जानने निकला मैं
दुख का आधार मिला
दुख का मर्म समझा
तो खुशियों का संसार मिला-
चलो आज फिर से कलम थामते हैं,
गुजरे वक्त को वक्त देकर बांधते हैं,
वक्त जो रेत की तरह फ़ीसल गए मुट्ठी से,
थोड़ा हौसला जुटा उससे बांध बांधते है।
चलो आज फिर से कलम थामते हैं।।-
कोई खेल गया मेरे जज्बातों के साथ
बनाकर झूठा फसाना अपने हालातों के साथ
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गुरु
आपकी चरणों की धूल से ही
तो मेरी सुबह का उजाला है
दुनिया के चक्रव्यूह में फंसा था मैं
आपने ही इससे बाहर मुझे निकाला है
इस सूर्योदय के असली हकदार हैं आप
कयोंकि आपने ही मुझे
दुनियां के अनुरूप ढाला है
खुद की परछाई से भी ज्यादा
साथ दिया आपके ज्ञान ने
मानो जिंदगी सार्थक कर दी
आपके रूप में भगवान ने-
भीड़ नहीं बनना है मुझको,
खुद की पहचान बनाना है।
अमृत की बूंदों की भांति,
अपना शेष जीवन बिताना है।।-
आओ मिलकर बचपन के वो दिन याद करें,
चलो इसी बहाने फिर से मिलने की शुरुआत करें।
माना की घर पहले से छोटा है और समय का टोटा है,
शायद पश्चिमी सभ्यता ने हमें मिलने से रोका है।
मिलकर हम उन्हें "वसुधैव कुटुंबकम" का पाठ पढ़ाएं,
आओ मिलकर इस आनंदमयी जीवन का उत्सव मनाएं।-
धीरे-धीरे नन्ही कली खिलती है।
धीरे-धीरे ओस की बूंदे बनती है।
धीरे-धीरे इन्द्रधनुष बनता है।
धीरे-धीरे ही प्रकृति का रूप निखरता है।-
होठों पर मुस्कान दिल में अरमान लिए हुए,
नापने को सारा आसमान लिए हुए,
मुश्किलों को करके धुआं धुआं,
लक्ष्य की तरफ जब चाहे उड़ान लिए हुए।-
जहां अपनापन के भी दावे थे,
पल पल पर छलावे थे,
मतलब का एक रिश्ता था,
जो समय-समय पर दिखता था,
पढ़ाई थी की बनावट थी,
नंबर कम ज्यादा आने की आहट थी,
साजिशों का अंबार था,
ऐसा लग रहा था मानो बाजार था,
अतिक्रमण की तरह हट गए हम,
अलग अलग राहों में बट गए हम,
बस अफसोस सिर्फ इस बात का है कि,
दोस्त तो मिले लेकिन दोस्ती नदारद थी।-