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सड़े हुए सुअर के देह से बहता हुआ मवाद हूँ
कलंकित कौम से निष्कासित मौलाना शाद हूँ
राष्ट्रद्रोहियों के कारण राष्ट्र में ही मैं आबाद हूँ
कोरोना का मरकज़ जमात रुपी कट्टरवाद हूँ
पैदाइशी हलाला रिश्तों का करारा विवाद हूँ
स्वयं पर संयम नहीं सदा से अवसरवाद हूँ
अनपढ़ जाहिल इल्म बेमतलब संवाद हूँ
घृणा का पात्र हास्यास्पद सामंतवाद हूँ
हाँ मैं ही काफ़िर हूँ मैं मौलाना शाद हूँ-
😊आज का ज्ञान😊
"एक ख़ानदानी शेर
कभी भी किसी सूअर को सलाहकार नहीं बनाता।"
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प्रलय के बाद की
सम्भावनाओं की
एक अदद जो शेष होगीं
यही फिर से
सृष्टि का प्रारम्भ करेंगी
तब लोग स्वीकारेंगे इन्हें
जोड़ किसी मनु से
आदि शक्ति मांँ कहेंगे
मनु को ज्ञात होगा
तब कह न पायेंगे
बेटी सी बहन थी
अकेले असहाय
पिता से वृद्ध में
पुरुषत्व जगाकर
पत्नी बनी थी
सृष्टि के प्रारम्भ को
जगत की माँ यही है।
मैं भी हूँ नहीं जगत से अलग
मैं भी हूँ नहीं जगत से अलग।।
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सच स्तब्ध है ह्रदय ईश्वर की यह
दुनियां प्रश्नों में खोई हुई है कहीं
पर समाजशास्त्री क्यों मौन है इस
प्रश्न पर की कूड़ा बिनने वाली लड़की
सूअर के बिच सौंदर्य खो कर कार्य में
है मग्न ,, ,,,,,,और सौंदर्य तो हर नारी
का प्रकृति,,, से मिला अनमोल उपहार
है ,,फिर इससे यह बेचारी क्यों खो रहीं है?
और प्रकृति और समाज दोनों ही क्यों इस
प्रश्न पर मौन है?-
मानो कचरे में अपनी
किस्मत ढूंढतीं हैं
न मिली कोई किस्म
मंजिल को पाने की,
मिला है तो किसी का
अजन्मा इश्क़,या
किसी के टूटे
सपनों की गली लाश।
बस न मिला है तो कोई
उसकी इस दशा का
मनोहार देखने वाला।
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नन्हीं कोमल मजबूर नाचीज़
किचड़ मे कमल सी प्रतीत होती है
जिन्हें मिली वक्त की झिड़कियाँ
है बेमिसाल
या जिसका समाज शास्त्र के ही बाहर का है
बस इसी कारण उसका कौमार्य किसीने सुना ही नही.
-कनु-
चापलूस हराम का दाना खाया
सुअर सा शरीर मोटा बनाया
करे बड़े बड़े बात भलाई की
आस्तीन में प्रेम की खंजर छुपाया-
छल से भगवा पहन के आये थे, 😡
वरना शेर 🐯 का शिकार सुअर 🐖नही
कर सकते थे 🙏-