Raghvendra B Saral  
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प्रयागराज ,उत्तर प्रदेश
Joined 30 April 2019


प्रयागराज ,उत्तर प्रदेश
Joined 30 April 2019
11 HOURS AGO

दर्मियां महदूद रहता उनका इश़्क रूहानी।
भूल जाते वो ख़ुद को मिल आईने की तरह।।

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12 HOURS AGO

ओट लिये पर्वत का जो जा सो जाता सूरज,
जंगल से हो पहन सुरमई आती चुपके रात।

आते नींद स्नप्न जगाते, रह जाते करवट लेते,
भोर होने तक न जाती आ यादों की बारात।

घर से निकल गली नापते पहुँचा अपने गाँव,
फिर पहुंचा जा नदी तट देख मांझी की नांव।

मिल साथ भोजन करते थे पूंछे बिन जात।
जहां निशा नौका विहार में होती थी प्रात।।

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18 HOURS AGO

तुम्हारी बाहों में आ, हुई मैं पहाड़ी नदी सी।
पा जमीं बह रही शान्त, बस रहने दो यूँ ही।।

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21 HOURS AGO

दिल की बातें हों बस दिल तक,
हो सफर चाहत में मंजिल तक।

सुने बस राही दो दीवाने, इश़्क
बीच खामोशी पे दे जो दस्तक।

दूर रह वह से बन जाते मैं, तुम
रहती जल्दी आने को हम तक।

दबे पांव बढ़ता रिस्ता पोशीदा
हद में रह पहुंचने को हद तक।।

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1 MAY AT 23:27

दिया सबको कुछ न कुछ, रब की मेहरबानी।
ख़ुद के हुनर से, हर किसी का न कोई सानी।

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1 MAY AT 23:17

चेहरे पर हया, ये हुस्न और खिलता शबाब।
और लगता हसीं हाथों में आ ताजा गुलाब।।

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1 MAY AT 22:41

हाथ करे कर्म से प्यार
एक हाथ में सौ औजार।
बढ़ें कभी जब ये मिल
मिटे समस्या, माने हार।।

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1 MAY AT 21:52

ख़ुल्द पर हर आदमी के, हैं ज़ुदा ज़ुदा ख़ुद के खयाल।
जमीं को बना जीते कुछ, कुछ पाने को जाने के बाद।।

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1 MAY AT 21:13

जिंदगी के साथी, जैसे दीये में बाती,
हैं संग सदा वो जैसे जन्मों की थाती।

अधिकारपूर्वक निभाते वो रिस्ते को,
कह देते सच, न करते ठकुर सुहाती।

दो पहिये बन ढोते वो एक दूजे को,
बढ़ते जाते आगे न गिरने देते गाड़ी।

सींच प्रेम से रखते हरी भरी जीवन
की बगिया जिसमें खुशियां हैं गातीं।






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1 MAY AT 21:13

जिंदगी के साथी, जैसे दीये में बाती,
हैं संग सदा वो जैसे जन्मों की थाती।

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