जीवन में कुछ कर दिखाना है
उम्र न गुज़र जाएं कहीं,,, सोचते
हुए यों ही,,नसीब को कोसना क्या
जों पाया है वह भी मुकद्दर था ऐसा
न हों मकसद जिंदगी का ,, होगा वहीं
जों हम चाहेंगे,, जो पाना है कुछ मेहनत
करके अवश्य पाएंगे,,,नसीब बनाना खुद
हाथ में है खुदा,, मेहनत वाले के साथ है
फल जरूर मिलता है,, सिर्फ कुछ को देर
से तो कुछ को पहले मिलता है,,, मक्सद जो
होगा साफ़ तो,,, फिर हर चेहरे पर हंसी खुशी
हम लाने की वज़ह बन जाएंगे।।।
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प्रश्न आया यह ह्रदय में,, ईश्वर
ने दुनिया की संरचना,, की तो
बहुत खुबसूरत थी,, मानवीय
गुणों को मानव का श्रृंगार बनाया
था,, करूणा,, प्रेम,, मानवता,,दया
का ,, गहना हमें पहनाया था,, पर
दृष्टि अब जों पड़ी,, इस दुनिया में
बदलाव का सैलाब उठा था,, चेहरे
पर एक और चेहरा 🐷 हर मानव
लगा कर बैठा था,, लगता तो नहीं
यह वहीं दुनिया है,,,हर मोड़ पर एक
नये हीं रूप का अनुभव मिला था जिसमें
करूणा दया प्रेम मानवता का बदला नया
रूप मिला था क्रोध,,, वैमनस्य और बदलें
का रूप मानव लिए खड़ा था।।।-
अक्स अपना हीं कागज़ पर
हम यों बनाते हैं,, मानों एक
नन्हा बालक ✒️ कलम से
कागज पर लिखते हों मिटाते
हों,, कर्म हमारे अक्स पर रंगों
का काम करते हैं,,, फिर कवि
अर्थात् हम कुछ लिखते हों फिर
मिटाते हों,, फर्क पड़ता है जब
जिंदगी रुसवा हों सांसों की गति
को थामती है,, और हमें चिर निद्रा
से चिता पर रखती है तब यह एहसास
होता है,, लिखते हैं मिटाते हैं जिन्दगी
के महत्व को अन्तिम वक्त में हम समझ
पाते हैं।।।-
जिंदगी का हर लम्हा कुछ
अनुभव लेकर कर आता है
हर लम्हें के साथ नया पाठ
दें जाता है,, कुछ अनुभव
प्रतीकुल और कुछ अप्रत्याशित
परिणाम दिखा जातें हैं,, कभी
दुःख तो कभी सुख से वह मिला
दें जातें हैं,,हर लम्हें जीवन के
कभी खुशी कभी ग़म का एहसास
दें जातें हैं,,,।।-
प्रारम्भ यहीं है ,, अन्त यहीं है
प्रारब्ध यहीं है कर्म यहीं है
सांसों से सम्बन्ध यहीं है
जीवन की चिर निद्रा से
जब तक मुलाकात न हों
तब तक जीवन का रूप
यहीं है,,चिर निद्रा में आते
हीं श्मशान की चीता पर
जीवन का अन्त हैं यहीं
परमसत्य है ,,, जीवन का
सत्य यहीं है ,,, अन्त से प्रारम्भ
तक जीवन का सार यहीं है।।।-
संसार का सबसे सुन्दर एहसास हैं
प्रकृति के द्वारा दिया वह हमें अनमोल
उपहार है,, रिश्ता ऐसा जो परमात्मा
का साथ लगें जैसे,, निश्चल और हर
आनन्द मानों दुनिया का उस रिश्ते में
हमें मिलें,, परमात्मा को धरा पर मां
के रूप में पाया,,, मां ने बेटी को धरा
पर चांद के रूप में है पाया,,, मां बेटी
का रिश्ता ,, मानों नभ में जैसे चांद सितारों
के बीच जगमगाया।।।-
देखा क्या तुमने पशुओं को
कभी हंसते हुए,,मानव को
प्रकृति का उपहार मिला है
हंसना तो सिर्फ मानव का
जीवन का गहना है ,,रूपयें
खर्च होते नहीं ,,,,,, हंसने में
फिर यह कंजूसी क्यों,, मुस्कान
चेहरे पर होगी ,, तनाव से मुक्ति
होंगी ,, फायदा हैं अनेक इस
हंसी का ,,, फिर भी हर किसी
के जीवन में यह क्यों हों रहीं हैं
हंसो और हंसाओ ,, चेहरे पर
मुस्कान से उमंगों की लहरों को
सजाओं।।
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श्रम,, है जीवन की पुजा
श्रम,,, के बिना तो यह
जीवन,,, हीं व्यर्थ है
पशु भी देखो तो करते
अपना अपना कर्म है
इक छोटी सी चींटी भी
खाना बिनने में अथाह
परिश्रम है करतीं ,,वह
जीवन की सांसें मृत्यु
तुल्य ,, है जो करतीं नहीं
देखो श्रम है।।
श्रमिक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।।
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गिरधर की प्यारी बिटिया
कहलाई ,,, रजनी के तम
को प्रकाशित करने ,,वह
नन्ही परी आई,,,धीरज की
प्यारी बहना,,, कविता के
लिए मुस्कान बन आई,, जन्म
दिन मुबारक हों तुम को ,,वह
हमारी प्यारी ज्योति बहना कहलाई।।-
सांसों की गति थम न जाएं
जीवन की डोर मृत्यु से हाथ
मिलाएं,,, इससे पहले तूं अच्छे
कर्म कर और मानव बनाया जों
ईश्वर,, ने तुम्हें उसे गर्व हों मानव
जों बनाया मैंने ,,, उसका कर्म देख
विधाता खुद प्रसन्न हों।।।-