प्रश्न आया यह ह्रदय में,, ईश्वर
ने दुनिया की संरचना,, की तो
बहुत खुबसूरत थी,, मानवीय
गुणों को मानव का श्रृंगार बनाया
था,, करूणा,, प्रेम,, मानवता,,दया
का ,, गहना हमें पहनाया था,, पर
दृष्टि अब जों पड़ी,, इस दुनिया में
बदलाव का सैलाब उठा था,, चेहरे
पर एक और चेहरा 🐷 हर मानव
लगा कर बैठा था,, लगता तो नहीं
यह वहीं दुनिया है,,,हर मोड़ पर एक
नये हीं रूप का अनुभव मिला था जिसमें
करूणा दया प्रेम मानवता का बदला नया
रूप मिला था क्रोध,,, वैमनस्य और बदलें
का रूप मानव लिए खड़ा था।।।
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