जिंदगी ने हमें तोड़ कर सिखाया
और हमने टूट कर सीख लिया
न इस बात का गिला किया
न खुद को झूठा सिला दिया
जिंदगी ने हर मोड़ पर अंगारे दिया
और हमने चल कर खुद को जला दिया।
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जब माँ उसे कर देगी त्याग
जात धर्म हो जाए अभाग,
जो अकुलाए उस कर्ण को
उसके सीने स्वर्ण को
न मिले आदर न वास,
कर्ण किससे रखे आस?
सूत पुत्र होने पर जो
वो हास्य, घृणा का पात्र हो
तो दुर्योधन आएँगे
कर्ण कौरव होते जाएंगे।
कर्ण कौरव होते जाएंगे।
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फ़ैला दो अपनी मुस्कान इन बहती हवाओं में
माँग लो अपने अरमान सच होती दुआओं में
घुल-मिलकर रहने से दिल को सुकून मिलता है
क्या रखा हैं ज़ख्म देने वाली झूठी वफ़ाओं में
दर्द जिसको होता है वो टूट सा जाता है अक़्सर
सहम ही जाता है इन्सान बेवजह हुई ख़ताओं में
ज़िन्दगी कभी भी किसी की मोहताज नहीं होती
बहुत दूर से दिखती है अना हज़ारों बेवफ़ाओं में
ज़ख्मों को छुपाने से दर्द कम नहीं होता कभी
ख़ुद से मिलती है शिफ़ा गर असर है दुआओं में
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना सूरज नें सिखाया है
वरना अब कुछ नहीं रखा झूठी काली घटाओं में
मंज़िलें किसी का इन्तज़ार नहीं करतीं "आरिफ़"
मिट्टी में मिलता है इन्सान गर फ़रेब है अदाओं में
"कोरा काग़ज़" बिक रहा है अख़बार के नाम से
सच्ची नहीं है अब कलम झूठी हुई फिज़ाओं में-
सम्भल कर चलना तक जिन्हें नहीं आता
वो भी अब हमें सीख दे रहे थे!
मांगी थी हमने फक़त मुहब्बत उनसे और
वो नादान हमें भीख दे रहे थे!!-
एक पुरानी इमारत पे
कुछ फूटती हुई कोंपलें
ना जाने क्यों पिताजी
सीख के साथ नज़र आये।-
हक है पिता डांट सकें, सुनले रे बलवान।
गुस्सा कर ले परख लई, जीत परीक्षा कान।।-
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का-