QUOTES ON #सिर

#सिर quotes

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दिखते हैं राहों में जो अपने, पराया समझना नहीं।
सीने से लगा लेना उसे, तुम सिर पटकना नहीं।।

ख़्याल है मुझे, तुम्हारे हर एक ख़्याल की 'धर्मेंद्र'
अपनी जेब में हाथ डालो, उसका तकना नहीं।।

हाथों में लकीरें बहुत है, लकीरों में लटकना नहीं।
नज़ारा बहुत हसीन है, तुम आँख झपकना नहीं।।

मंजिल है दूर, पर है शर्त, यहाँ थकना कोई नहीं।
कहने को अपने है बहुत, पर अपना कोई नहीं।।

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12 JUL 2017 AT 19:02

समर्पण ही किया था मैंने,
वो कोई शरणागति नहीं थी...
मुझे तो चाहिए था सात जनमों का साथी
तुम्हें तो दिन में कामवाली और रात को बाहोंमे आनेवाली की तलाश थी...
मैंने अपने पैर पर खडा होना चाहा
पर तुमने इनाम दिए वह बेल्ट के निशान
अपाहिज बना गए मेरे पैर....
मैंने सिर उंचा कर जीना चाहा
तब तुमने गर्दन मरोड़ सिर झुकाया मेरा...
शादी के वक्त हाथ-पाँव मेहंदी से सजे थे
तुने मांग मे सिंदूर सजाकर
जख्म से जिस्म सजाने का हक ही पा लिया...
यूं तो बाहर दुनिया से डरने वाले कायर तुम
कमरे के अंदर मर्दानगी बहुत दिखाते हो...
तुम्हारी हर फटकार मे
प्यार की उम्मीद ढुंढती रही मैं...
पर अब बस...
तूने समझा होगा काँच की गुडिया
पर खुद्दारी के लोहे से बनी मूरत हूँ...
जो आज भी कहती हैं तडप तडप कर,
ये समर्पण हैं मेरा,
इसे शरणागति समझने की भूल न करना...

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28 JUL 2021 AT 9:11

पेट ने
कई बार कहा
भूख लगी है ,

अंदर से
आवाज आई
थोड़ा कम खा
बाप के सिर
पर सूत चढ़ी है|

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7 MAR 2018 AT 8:07

रोऊँ भी तो रख किसके कंधे पर सिर अपना ,
घर हैं मेरे घर के पास मगर कोई घर नहीं है !

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14 NOV 2018 AT 1:52

जब मेरे सीने पर सिर रख कर, वो चैन से सो जाती है
मेरी माँगी हुई हर अधूरी दुआ, जैसे क़ुबूल हो जाती है

ना शिक़वा रहता है ख़ुदा से, ना ख़ुद से कोई शिकायत
सच कहता हूँ उस एक पल, ज़िन्दगी वसूल हो जाती है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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27 AUG 2017 AT 13:12

मानसिक विकारों का जन्म तभी होता है जब हम किसी व्यक्ति या किसी भावना को इतना महत्व दे देते हैं कि वो हमारे सिर चढ़ कर बोलने लगती हैं ।

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24 JUL 2017 AT 20:19

अपनी गोद में लेकर मेरे सिर पे हाथ फिराना,
तुम्हें बस शक होगा कि मैं जिंदा हूं..

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24 NOV 2017 AT 23:36

विडंबनाओं का अतिक्रमण हो जाता है
जीवन में मेरे,
जब,
मेरे कंधों को सहारा बनाते हुए,
मेरा सिर सहारा ढूंढता है ।

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9 AUG 2020 AT 7:39

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19 OCT 2018 AT 19:43

हौंसला टूटने को है इन काँधों का भी अब
इन काँधों को यह सिर बोझ लगने लगा है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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