जो वक़्त मैं अब
नौकरी पर बिता रहा हूँ,
ये मुझपर तुम्हारा उधार रहेगा ,
जिसकी भरपाई मैं तुमपर
कविताएँ लिखकर करूँगा !
-
hidden amidst countless calculations ,
the reluctant wor... read more
"चुप क्यों रहते हो तुम हरवक्त , कुछ बोलते क्यों नहीं ? ",
मेरी आँखों में आंखें डालकर आखिर पुछ ही लिया उसने मुझसे।
हर दिन की तरह, उस दिन भी मैंने
उस प्रशन का कोई उत्तर नहीं दिया ।
उसे नहीं पता मैं लेखक हूँ !
-
कुछ वादे मैं भूल गया ,कुछ वादों से वो मुकर गई ,
वो वक़्त थी सो गुज़र गयी , मैं गम था सो वहीं रहा !
-
है लत जिसे नशे की शाम होते ही शराब संभाल लेता है ,
हम दीवाने हैं जिस शक़्स के बस उसे निहार लेते हैं !
-
अजीब है ये शहर-ऐ-मोहब्बत, यहाँ शोर भी है ,सन्नाटा है ,
शायद हर कोई दीवाना है तुम्हारा ,यहाँ घर भी हैं , वीराना है ,
मैं जो पूछता हूँ तुम्हारा पता गलियों में घूमते कई चेहरों से ,
कोई खामोश होकर सुनता है , कोई सुनकर खामोश रहता है !
-
वो जो कहा करती थी खुद को मेरी मुस्कान कभी ,
उन दोनों को देखे अब एक ज़माना बीत गया है !
-
मैं जो देखता हूँ उसे मुझे मेरा कल याद आता है ,
इक रास्ता है जो मेरे घर से तेरे घर को जाता है !
-
मुझमें और मेरे दिल के रिश्तों में ,
इतना सा ही बस फर्क है
के कुछ लोग जो मुझसे मिलों दूर रहते हैं ,
वही कुछ लोग दिल के मेरे बहुत करीब हैं !
-