सुसि ग़ाफ़िल   (© सुसि 'ग़ाफ़िल'🍁)
3.4k Followers · 160 Following

🍃
Joined 13 September 2020


🍃
Joined 13 September 2020

मिलों दूर इधर-उधर बहुत पास बहुत
पास बहुत दूर यही आलम सांझ का

बेगम बिना राजा तड़प हरदम हरपल
राजा बहुत दूर-दूर क्लेश के महल में

तंग हवाओं के शिखर पर बैठे कबूतरों
की चुगलियों में जिक्र दर्द का बेइंतहा

सुनो सुनो बस रहने दो रुको रुको जरा
कई बार कबूतर ने यह बात दौहराई थी

-



प्रतीक्षा हमेशा प्रतीक्षा ही रहती है उसको कोई भी कम नहीं कर सकता यह दिन में कई पल बरस शताब्दी मौसम कई तरह के जलसों के बाद भी खत्म नहीं होती।

धूप छांव बारिश हवाएं इनको छोड़िए चलती हुई खिड़कियों से इंद्रधनुष को देखते हुए भी एक आहट की प्रतीक्षा रहती है....

-



कभी-कभी गहरे बिस्तर की गर्भ में भी चलता हूं मैं तेरे साथ ...
अक्सर पश्चिम की तरफ किए पांव तेरे शहर की दहलीज पर छोड़ते हैं मुझे।

-



खूब लुट कर मकान को मकान में अब मैं क्या करूं ,
तमाम जिंदगी गुनाह बहुत किऐ अब गुनाह ना हो मैं क्या करूं ।

-



सब ढल जाता है धीरे-धीरे
ये शामें रातें ये दिन, ये चेहरे ये जिंदगी ये जिंदगानी सब ढल जाते हैं एक दिन....

-



कर्ज के बुलबुलों की खुशबू में फंसा
मेरा मन मेरी जिंदगी मेरी सांसें

-



लाख आए दुनिया का शोर फर्क नहीं पड़ता,
तेरी आवाज आ रही है इतना ही काफी है।

-



यूं ही बेइंतहा बे - वक्त बता देता हूं "ग़ाफ़िल"
मगर कभी-कभी मैं आंखों से भी नहीं जताता ।

-



कोई भुलाने पर तुला है
कोई बुलाने पर झूला है

ऐ - शहर कहां हो तुम
ऐ - शहर कहां हूँ मैं

सब खाक है खाक की तरफ
मैं बर्बाद हूं बर्बाद की तरफ

-



महज कुछ क्षण आते हैं चरम पर बाकी जिंदगी शमशान वीरान लहूलुहान सी लगती है।

-


Fetching सुसि ग़ाफ़िल Quotes