सब कुछ खोकर ही तो मुझे जीना आया है
वरना कल तक जीना मेरे लिए बड़ा ही सरल था
इन आँसुओं ने मुझे हँसने का महत्व क्या खूब सिखाया है
वरना पागलों सा हँसना भी मेरे लिए बड़ा ही सरल था
ठोकरों ने ही मुझे गिर कर उठने का हुनर सिखाया है
वरना जीवन पथ पर यूँ ही चलते रहना मरे लिए बड़ा ही सरल था
सबका साथ पा कर ही मुझे अकेलेपन ने अपनाया है
वरना अकेला हो कर भी सबके साथ रहना मेरे लिए बड़ा ही सरल था
चुप रह कर ही तो मुझे कहने सुनने की कला आया है
वरना बदलते रंग रूप देख सोचना विचारना मेरे लिए बड़ा ही सरल था-
अब क्या गिला कैसी शिकायत
ना कोई मलाल ना रहा,
सितम तेरे भी बेहिसाब रहे
सब्र मेरा भी कमाल रहा !-
दर्द खाते चलाे रंज-आे-गम में मुस्कराते चलाे
ये दुनिया है कि दुनिया के ताैर से निभाते चलाे
रूताें का खाैफ नहीं तुम गरदिश पे नजर रक्खाे
नजर वाले बे-नजराें काे यहाँ तुम जगाते चलाे
सितम आवारगी जिस हद तक चाहे माैक़ूफ है
अहल-ए-इमाँ बनाे तुम इमान काे जगाते चलाे-
बदस्तूर जारी है ज़माने में जिसका ज़ुल्म-ओ-सितम,
हाँ, इश्क़ वो दर्द है जिसे कुछ लोग दवा कहते हैं !-
जो रह गया हो बाकी, आकर वो सितम भी दे जाना।
मुझे दफ़नाने के बाद तुम मेरा "कफ़न" भी ले जाना।-
फ़िक्र-ए-सितम में आज ऐसे दर-ब-दर हुए ,
ख्वाब-ए-खुशी ही मिट गई , इस कदर हुए !
छोड़िए ये सुर्ख़ आँखें , ये तो कुछ नहीं
बे-मुहाबा दिल जला , ऐसे असर हुए !!
तल्ख मंज़र देख के हमने हवाओं का
इश्क़ चाहत क्या , सभी से बेखबर हुए !
रंज-ओ-ग़म न पूछिए , अब इस फ़साने का ...
बे-सबब दिल पे सितम तो हर पहर हुए !!-
मिलना कभी फुर्सत से तो बताएंगे, सितम कितने ढाए हैं हम
वक्त पर तू तो ना मिली, इसलिए तेरी सहेली को बताएं हैं हम-
गम की महफ़िल में मुस्कुरा दिए थे हम
फिर ढाये लोगों ने शब्दों के सितम
शायद ये सज़ा थी
तेरे ख़यालों में खोने की।-
आपसे हम क्या मिले,
हमसे गम मिल गया |
कुछ पल तो साथ रहा आपका,
आगे फिर सितम मिल गया ||-