कश्ती को डूबो रहे हो।
क्या बात है जो इतना मुस्कुरा रहे हो।
कही ऐसा तो नही हाल-ए-दिल मुझसे छुपा रहे हो।
कुछ अनकहे दर्द दिख रहा है तेरी आँखों मे,
और आँखों मे कचरा आने का बहाना बना रहे हो।-
सबने साथ चलने का वादा किया
मगर जब बीच समुद्र में
साथ निभाने की बारी आई
तो अकेला छोड़
सारे साहिल पे ही खड़े नजर आए।-
समुद्र की गहराई
नहीं नापी जाती
वैसे ही इंसानों से
कुछ पल बात कर लेने से
उसकी दर्द नहीं
कम हो जाती।-
जब तलक उसका चेहरा नज़र नहीं आता,
दहर में मुझे कुछ अच्छा नज़र नहीं आता!
निगाह साहिलों की फ़िक्र में रहती है मगर,
डूबने वालों को तिनका नज़र नहीं आता
कश्ती डूब जाए ब-दरिया कोई गम नही,
तुम बिन जिंदगी का यूँ क़रार नहीं आता!-
नैय्या पार नहीं होती
कभी जय नहीं होता कभी जयकार नहीं होती
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मेरा दिल ही मेरा क़ातिल था,
मेरा, मुझमें ही कहां शामिल था,
अक्सर धोखा अपने ही देते हैं
औऱ शायद इसके ही मैं क़ाबिल था,
कश्ती से नज़ारा अच्छा लगा,
जहां उतरा, समझा वो साहिल था,
जहां से बैठा था, वो हिस्सा तो छूट गया,
मैं भी ना कितना जाहिल था...!-
इक इश्क़ मिरे तलफ़्फ़ुज़ से परे रहा,
कातिब तख़ल्लुस का मुंतज़िर रहा ।
उम्मीदों के साए में हकीकत पे पर्दा रहा,
काफ़िर खुद अपने आज का क़ातिल रहा ।
बातों को समझाने भर से मरासिम टूट गए ?
मिरि समझ - उनकी समझ में यूं फासला रहा ।
खामोशियों का मतलब फक़त नफरत नहीं,
कई शिकायतों के बीच उनसे वास्ता रहा ।
ख्याली सोहबत को दिन - रात सोचता रहा,
आब-ए-रवाँ के इंतजार में ' साहिल ' ठहरा रहा ।
( For roman read in caption )-
साहिल पे खड़े होकर
हम उसका इंतजार कर रहें हैं
हम जानते हैं वो हमारा नहीं हैं
फिर भी हम उससे प्यार कर रहें हैं
हकीकत में वो किसी और का हो गया हैं
हम तो सिर्फ ख्वाबों में उसका दीदार कर रहें हैं....
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तू मुझे, इस कदर आज़मा ले ज़रा !
के इक दफ़ा धड़कनों में बसा ले ज़रा !!
तू समुंदर मेरा, मैं हूं साहिल तेरा !
पास आके खुद में मिला ले ज़रा !!-
भीषण तूफ़ान के इंतज़ार में है हम
सुना है हमने ऐसे तूफान साहिल से नहीं मिलते
बस वही समझना है मुझे भी
मेरे जीवन का तूफान क्या यंहा तक पहुँच पायेगा-