मैंने तुम्हें आखिरी पन्ने पर लिखा है क्योंकि शुरू से इश्क की ख़ोज में मैं थी..... ख़ोज ख़त्म तुम पर हुई है...... और ये तुम्हारा मिलना आखिरी में...... मेरे इश्क़ की खूबसूरत जीत है....
तू तो सब जाने भी वो दूर हो कर भी सिर्फ तुम्हारा ही तो है इस जहां में तू ही सबसे अजीज़ उसका है इश्क के बाद की इबादत भी तू ही है अब दिल तू समझ लेना ये सच है ये रब की नेमत ही तो है।।।
आज सबके नंदलाला का जन्म हुआ हर जन जन का मन उल्लासित हुआ मटके में था माखन रखा, ना जाने कैसे और कब चोरी हुआ बंसी की धुन गूंजा है हर ओर सबका मन आंगन प्रफुलित हुआ कान्हा कान्हा बोल के, राधिका देखो दौड़ी आई कृषि राधे को जोड़ी देख के पूरा विश्व प्रेम विशुद्ध हुआ...
जिसे उलझन ये जो है, सुलझा लिया जाए हलचल जो हरपल है, इसे रोक लिया जाए ख़ामोशी जो बेवजह ही सजी है चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान से उसे तोड़ दिया जाए बोलो ना, कुछ तो सोचो ना, विडंबना जो है उसे धीरज धर ठीक कैसे किया जाए।।
नेता वो महान थे भारत को सोना सिर्फ कहा नहीं बल्कि सोने सा चमकाया था... भारत भूमी का टुकड़ा नहीं है ये जन जन को समझाया था..... इसका कंकर कंकर शंकर है नदी नदी गंगा की धारा है..... कह के भारत का अभिमान बढ़ाया था