Hello friends...
kaise hain aap sab log...
आज कोई शायरी नहीं कहेंगे,
बस कुछ बातें करेंगे इस पुराने साल में
2021 में बहुत कुछ ले गया,
हर किसी के जीवन से किसी की जिंदगी से,
तो किसी की नौकरी छोड़ गई,
कुछ अकेल हो गए,
अपनी जिंदगी से कुछ लोग गम में डूब चुके हैं।।
सोचते हैं, कैसा है, यह जीवन
बहुत कुछ यादें 2021 में छोड़ गया।।
जिससे हम सब उभर नहीं सकते,
सिर्फ याद कर सकते हैं,
बस याद कर सकते हैं।।
बस यही कहना चाहूंगा,
पुराना साल तो बीत गया,
बस भगवान करे,
नया साल अच्छे से गुजरे
सबके जीवन में!!😔😔
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यूँ तो कई शामें गुज़र जाती है...
मगर.......आज की शाम तो,
साल बदलने को उतारू है....!-
प्रिय 2017,
एक बेशकीमती तोहफा भेंट किया है तुमने मुझे,
एक "लेखक" की उपाधि प्रदान की है तुमने मुझे।
(Caption 👇)-
मिलाके हमसे नज़र वो ख़ुद भी निख़र जाएगा
खोकर तन्हाई में वजूद मेरा बिखर जाएगा
साल तो बदलता ही है, बदलेगा अब भी
फिर याद में उसकी ये बेदर्द दिसंबर गुज़र जाएगा-
साल का आखिरी दिन
साल का आखिरी दिन है
आंकलन और विश्लेषण में
खोने से अधिक पाने की बातें हैं
महसूस हो रहा है
बहुत गरल पिए
मन शिव सा बैरागी बन गया
किताबों पर से धूल उतरी है
जिंदगी को लिखे
बहुत से ख़त याद आ रहे थे
रास्ते ख़त्म भी नहीं हो रहे थे
और चल भी नहीं रहे थे
और छोड़ दी थी
मंजिल ने आवाज़ लगानी
कितना कुछ सैनेटाईज़ हुआ
कितने आंकड़ों का रोज़ हिसाब होता था
फिर से
इन बारह महीनों में बहुत कुछ जमा कर
तजुर्बे खरीद लिए-
जोड़ते हैं जाती हुई यादों को
क्या खोया क्या पाया
जिंदगी ने ये सिखाया
ठोकर खायीं है जो उन्हें ना
ज़ायर करना सीखकर उनसे
जिंदगी को कल से बेहतर करना...-
इस साल के आखरी दिन में....
नई उम्मीद के साथ विदा लेंगे,
नए गीत के साथ विदा लेंगे...
हुई जो भी गलतियां हमसे उसकी,
क्षमा और विनीत के साथ विदा लेंगे...
इस साल के आखरी दिन में,
एक तस्वीर के साथ विदा लेंगे...
गिले- शिकवे भुला के लग जाना गले,
नए साल में इस उम्मीद के साथ विदा लेंगे...
हमारे रिश्ते मजबूत रहे नए साल में भी,
इसी सच्ची प्रीत के साथ विदा लेंगे...-
काश कोई संभाल ले मुझको,
बहुत थोड़ा - सा रह गया हूं,इस साल की तरह।।-
यह साल भी कितना खास था
कुछ सीखा गया कुछ बता गया,उसका अलग एहसास था...
कुछ जीवन ऐसा ही था पहले,नवयुग को आभास कराया है
सुख दुख में कैसे रहना है,इसने जीवन मूल्य बतलाया है..!!
सहसा जीवन में सैलाब उमड़ा,व्यथित हुआ जग सारा है
एक बीमारी के आग़ोश में,पूरा भू-स्थल समाया है..!!
शहरों से सफर करता इंसान,अब गाँव परिवार मिलाया है
जितनी थी दूरियां रिस्तो की,एक धागे में उसे पिरोया है..!!
फिर से बचपन दिखलाया,गाँव की गलियां-गलियां फिर से घुमाई है
धर्म संस्कृति का उपहास करती इस पीढ़ी को,गीता रामायण दिखलाई है..!!
कौन है अपना कौन पराया,चंद दिनों में बतलाया है
बीमारी से ही सही,एक सच्चा सबक सिखलाया है..!!
कालचक्र सा मंजर जैसे,हर घर द्वार तक मंडराया है
डर,दर्दनाक हादसो सा,क्षण भर में ही करवाया है..!!
फिर जीवन दौड़ उठा,उठकर अपने सफर को जाता है
कही शोक मनाता फिरता है,कही खुशियों से झूमता गाता है..!!
प्रकृति से खिलवाड़ न करो,उसकी अपनी एक गाथा है
अब भी सम्भलों और देखो,आगे क्या क्या होता जाता है..!!
आज विदाई ले रहा यह साल,कुछ खट्टी मीठी यादों के साथ
यह साल भी कितना खास था,उसका अलग एहसास था..!!
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गुजर जाने दो फिर एक शाम को
गुजर जाने दो फिर एक साल को
इनका क्या है फिर से शुरू होंगे
मुझे तकलीफ लोगों के बदलने से होती है।।-