बहू का इज्जत मांगना ज़िद समझा जाता है
और बेटे की इज्जत सच में इज्जत होती है;
बेटे की गलती इस जहां में नादानी होती है
और बहू तो किरदार से ही गलत होती है...-
आज कल लोगों की शिकायतें बड़ती जा रहीं हैं
कि बदल क्यों गई हो?
आखिर बातूनी लड़की के अल्फ़ाज़ कहाँ गए?
न फोन पर बात करती हो,
न अपनी तस्वीर कहीं लगाती हो...
आखिर तुम्हारे वो अंदाज़ कहाँ गए?
क्या कहूँ कि कुछ बन्दिशों और जंजीरों ने घेर लिया था
जो खुदको आज़ाद किया
तो पता चला आदत ही छूट गई,
दूसरों में खुदको ढालने में
मैं खुद से ही रूठ गई...
शायद एक दिन लौटूंगी
अभी कई और बेड़ियाँ तोड़नी बाकी हैं,
मेरा खुदको पाना अभी बाकी है...-
बात ये है कि बेहद उलझ गईं हूँ मैं
दिक्कत ये है कि कोई सुलझाना नहीं चाहता,
बात ये है कि अब आँसू रुक नहीं रहे
दिक्कत ये है कि फिर भी ये सैलाब बह नहीं पाता;
बात ये है कि किसी को सुनानी हैं तकलीफें सारी
दिक्कत ये है कि मुझसे मेरा दर्द बोला नहीं जाता,
बात ये है कि सुकून के लिए घर जाना है
दिक्कत ये है कि घर में भी सुकून नहीं आता ।।-
तोड़ ही दिया है
तो अब बिखर भी जाने दो,
अब कुछ भी नहीं बचा मुझमें
बहुत हुआ, बस अब मुझे जाने दो...-
इतनी मेहनत की है उसने मुझे गिराने में
कि शायद अब ज़िन्दगी बीत जाएगी खुद को बचाने में...-
मैंने देखा है एक राक्षस
जो दूसरों के आंसुओं से
अपनी शक्तियाँ बढ़ाता है,
वो औरतों को गिराकर एक अजीब सुकून पाता है;
चेहरे पर नकाब रखकर एक अलग ही चेहरा दिखाता है,
और दूसरों को दुःखी देख
वो सन्तुष्टि से मुस्कुराता है....-
लोगों की ख्वाहिश है
मेरे सपने छीन मुझे गिराने की,
पर मेरी भी ख्वाहिश है
उस आसमां को छू जाने की...
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बहुत सी देखी और अनदेखी बेड़ियाँ तोड़ी हैं
अपने हुनर और ख्वाहिश को ज़िंदा रखने के लिए;
वापस मिलने लगा है मुझे फिर से अपने अंदर का शायर
अल्फ़ाज़ तो मिल जाएं कम से कम,
अपनी बात कहने के लिए....-
लोगों के प्यार का मतलब ये नहीं है
कि वहाँ सच में आपकी इज़्ज़त हो
लेकिन प्यार का मकसद ये होना चाहिए कि
आपकी इज़्ज़त जरूर हो...-