वक़्त ने ढाया है कई बार यूँ सितम
रोना चाहा मग़र रो न सके तेरी ख़ातिर
पलकों के किनारे ही रोक लिया हमने
के उन अश्कों को छुपा लिया तेरी ख़ातिर
रूह में शामिल तुझको कब से कर लिया है
ख़ुद को खाली कर लिया तेरी ख़ातिर
कहता है ज़माना सबकुछ बदल गया है मुझमें
इस हद तक बदल दिया ख़ुद को तेरी ख़ातिर
इश्क़ है तुझसे बेशक़ बेहद,बेपनाह हमको
खुद को भुलाये बैठे है इस क़दर तेरी ख़ातिर
बेड़ियाँ नहीं है मोहोब्बत मेरी जो क़ैद कर दे
लो आज़ाद करता हूँ मैं तुझको तेरी ख़ातिर
तेरा था, तेरा हूँ और मैं तेरा ही बनकर रहूँगा
क़ाबिल बना लिया है ख़ुद को तेरी ख़ातिर
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दर्द टूटते ख़्वाबों का
रह-रह कर उभर आता है
सीने में दफ़न कर भी दूँ
फिर भी नज़र आता है-
मिलकर तुमसे ना जाने क्यों हो जाते हैं ग़ुम से
मैं कहूं या ना कहूं लबों से मग़र इश्क़ है तुमसे-
सिर पर छतरी शाम सुहानी,बरसात की भीगी भीगी वो रातें
भूलकर भी हम भुला ना पाए,मीठी मीठी तेरी वो बातें-
माथे पर इंफ़िआल भी उसका अना हुआ
महँगे मोतियों को पत्थर का जो बना गया-
कभी खुशी कभी गम की सौगात लिए
न जाने चली यह किस ओर
पतंग सी लहराई फिर हाथ कभी ना आई
मतवाली सी है यह जीवन की डोर-
जिसने चाहा जैसे चाहा वो इल्ज़ाम लगा दिया
कतरा कतरा आंसू बहाए दिल को दर्द दिया
वक़्त बदला तो सब बदले हमको न ख़बर हुई
न जाने किस गुनाह की सज़ा हमे मिली-
होठों पर हँसी आने से उसके, मेरे चेहरे पर अलग नूर है
आएगा एक दिन मेरी ज़िंदग़ी में" वो" मुझे इंतजार ज़रूर है-
चाचा: हो मैनू काला चश्मा, जचदां ऐ
जचदां ऐ, गोरे मुखड़े ते
भतिजा: ये क्या हुलिया बना रखा है आपने?
कुछ ज्यादा ही नही हो गया? कार्टून लग रहे हो आप...
चाचा: नही नही देखना तुम⤵️⤵️-
एक इसी के दम से
ये ज़िंदग़ी ख़ूबसूरत होती है
हर इंसान को जहां में
प्यार की जरूरत होती है-