ये मेरी अदा नहीं मेरा ग़ुरूर है,
वो दिवाने है जो इस पर मरते है |-
बडे दिनो बाद आज खुद को साडी मे देखा |
मै संस्कारी लग रही थी ||
फिर भाई बोल ना चुडेल लग रही है |
तब समज आया बहुत अच्छी लग रही हू 😂
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असतो जर मी
पीन तुझ्या साडीचा l
ओठांना लावताना कळलं असतं
काय आहे मी खोडीचा ll
© Sanket-
ये सिर्फ
साडी ही नही है
ये माँ नानी
के कंदो
पर
लदे हुए
फरजो
की निशानी
भी है
-निशी🌸-
साडी नेसल्यावर तू
दिसतेस खूप भारी l
वाटतं लगेच उचलून आणावं
लग्न करुन घरी ll
© Sanket-
आज तु साडीत दिसलीस,एक धक्काच बसला !
मग गळा पाहून कुठं, एक वेडा हसला !-
साड़ी लागे मोहे अति प्यारी,
पहने जो नारी लागे नई-नवारी।
दिलवा दे ओ मोरे पिया,
जाऊं तुझ पर मैं वारी-वारी।
हार गले में पहनूँगी,
हाथों में चूंडी कंगन।
अंगुली में जड़ित मुंदरी,
पाँवों में पायल की छमछम।
कटि में चाँदी की करधनी,
नाक में मोतियन की नथनी।
डाल सुकोमल देह पर,
सिल्क साड़ी का बूटों वाला पल्ला।
आँचल तले तुझे छुपाऊंगी।
साड़ी पहन रूप गागर,
से रस तुम पर छलकाऊंगी।
रीझोगे तुम मुझ पर,
साड़ी में अंग-अंग महकेगा,
डालोगे जब तुम शरारती बांकी चितवन,
मैं तेरी नजरों से खिल-खिल जाऊँगी।
©®
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शुभ्र साडीमध्ये दिसतेस काय भारी ,
अप्सराही फिक्या तू आहेस सुंदर नारी ,
मृगनयणी डोळे त्यात शोभते काजळी ,
गुलाबी ओठ वाटे गुलाबाची पाकळी ,
खळी पडते त्यावर ते गाल ही गुलाबी ,
मादक यौवन तुझे नशा चढते ही शराबी ,
दाट काळे केस ,अन गोड गुलाबी हसू ,
वाटतंय फक्त तुझ्याकडे बघत बसू ,
अदा पाहून तुझी मी पुरता दंग झालो ,
हृदयी माझ्या तुझे घेण्या रंग आलो .....-
उसे साड़ी पहनना पसंद नहीं था,
पर जब भी मुझसे मिलती थी साड़ी पहन कर अक्सर मिलती थीं
क्योंकी वो जानती थी की मुझे वो साड़ी में और भी अच्छी लगती थीं।।-