जितना आसान
स्त्री पर व्यंग्य कसना या उपहास उड़ाना है,
उतना ही मुश्किल एक स्त्री होना है;
और
जितना आसान
पुरुष को अभद्र कहना या कठोरता से तुलना करना है,
उतना ही मुश्किल एक पुरुष होना है ।-
हादसा था वो कुछ ऐसा,
की मौत का मंजर देख लिया।
हमें बचाने के लिए उस रात,
इत्तफाक ने क़दम रख लिया।
समझदार बनने की नीयत थी मेरी,
नादानियों में ये कैसा जुल्म कर दिया।
दिल को तहज़ीब सीखा रहे थे जिस रात,
एक मोहतरमा ने सम्मान पर चोट कर दिया।-
जिस व्यक्ति की सोच गिरी हुई हो,
वो जीवन में कभी ऊँचा नहीं उठ सकता है।।-
उसने पूछा इस्क है?
हम तो पहले से ही उसके दिवाने थे।
उसने पूछा इजाजत है?
हम तो पहले से ही उसके ख्वाबो मे जागते थे।
किया इस्क टूटकर पर समझा तो पाया कि
हम तो पहले से ही उसके दोस्तो मे बद्चलन कहे जाते थे।-
|| सूचना ||
हिंदी भाषा के लिए श्री नंदकिशोर आचार्य को वर्ष 2019 का साहित्य अकादमी सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है।-
थोड़ा सा प्यार और सम्मान,
इसके अलावा कोई भी स्त्री
चाहती ही क्या है पुरूष से..!-
प्रेमी को 'सम्मान देने' और
उसके लिए 'सम्मान पाने'
के बीच के अंतर को
समझने के लिए हमें
समझना होगा "सती" को।
प्रेमी के लिए 'शान्त' रूप
और उसके सम्मान के लिए
'शक्ति' रूप धारण कर लेने
के बीच के अंतर को
समझने के लिए हमें
समझना होगा "सती" को।
प्रेमी पर 'निसार' होना
और प्रेमी के सम्मान
के लिए 'आहुति' देने
के बीच के अंतर को
समझने के लिए हमें
समझना होगा "सती" को।-
यह ऐसी हैं वह वैसी हैं,
ऐसा कहने वालों ने कभी अपने अंदर झांक कर देखा हैं क्या के उनकी सोच कैसी हैं।-
सम्मान का प्रेम से पहले स्थान है
क्योंकि स्त्री द्वारा प्रेम किये गए
पुरूष, एक बार को भुलाए जा
सकते हैं, परन्तु स्त्री हमेशा याद
रखती है उस पुरूष को, जिस से
उसने मान-सम्मान पाया हो, ऐसे
पुरूष हमेशा स्त्री के ह्रदय में
धड़कते रहते हैं, जैसे बसंत में
भूर्ज से गिरे हुए किसी सूखे पीले
पत्ते की तरह, और असंकू दोनों
के मध्य एक तगा सदैव के लिए
अमर हो जाता है ।।
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अगर हो किसी के दिल से अन्जान तुम
नहीं हो सकते उसके कभी मेहमान तुम
कितना भी इश़्क फ़िर क्यों ना कर लो
कभी नहीं बन सकते उनके सुल्तान तुम
मोहब्बत तो दो दिलों का जुनून होती है
धोख़े से कभी न पा सकोगे सम्मान तुम
दिल तो अपनों की यादों में तड़पता है
कैसे दोगे उनकी यादों को पहचान तुम
जो तुम्हारा न हुआ वो अब किसी का नहीं
उसकी बेवफ़ाई से कभी न होना हैरान तुम
सिर्फ़ अपनों के साथ ही हर-पल महकता है
उनके साथ ही बिताना अपनी मुस्कान तुम
इश़्क करके भी वफ़ा नहीं मिलती "आरिफ़"
उनसे दूर होकर कहीं बन न जाना हैव़ान तुम
"कोरा काग़ज़" हैं इश़्क की गलियाँ प्यारे
कलम को रखना इश़्क के लिए परेशान तुम-