समुन्दर
जब सब चीज़े हद से बाहर हो रही हो,
बस हारने ही वाली हूँ,ऐसा लगे,
तब मन करता है,
समुन्दर की गहराइयों में खो जाऊ
कुछ देर साँसे रोक कर ,
खुद को हर बन्धन से आज़ाद कर जाऊ
तैरना किसे आता है यहाँ?
सतह पर ना आ पाने का मलाल भी नही कोई,
बहुत जी ली गैरो के लिये,
अब इस विशाल समुन्दर की खुली बाँहो में,सो जाऊँ
सागर मैं तेरी हो जाऊं?
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