मन का अनछुआ पन्ना!!!! — % &
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Sonam Sahu
(सोनम साहू)
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इंसान कोई कविता अपनी समझ भर समझता है,
ईश्वर इक कविता है!!
मैं कोई लेखक या कवि नहीं!
( मोहब्बत... read more
ईश्वर इक कविता है!!
मैं कोई लेखक या कवि नहीं!
( मोहब्बत... read more
Joined 7 March 2020
1 JAN 2022 AT 14:49
गुजरे लम्हों की कसक,
मन में ही रह गयी,
मोहब्बत कि सहमी नदी,
दिल में ही बह गयी,
फ़िर भी नए साल की
बधाई दे देते तुम्हें
ये आखिरी ख्वाहिश भी
गुजरे कल में ही रह गयी..
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17 SEP 2021 AT 22:38
हमारी अनगिनत यादों को.. इन आड़े टेढ़े अक्षरों से.. इन पन्नों में ही तो उकेरती हूं..
हाँ...सही कहा.. कोई और माध्यम सूझा नहीं मुझे..
तुम्हारी यादों को संजो कर रखने के लिए.. इन पन्नों वाली अलमारी के सिवा..-