QUOTES ON #समाजसेवा

#समाजसेवा quotes

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15 DEC 2020 AT 21:10

Here is one of the Gandhi Sri Bhiyaram Yadav ji, a man who devoted entire life to plant and protected the tree as family
He has 40000 trees in his family now

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चिकित्सक हैं
भगवान स्वरूप
लो देख भी लो

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वैद्य दुःखों को
मिटा जीवन कर
दें खुशहाल

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29 NOV 2019 AT 7:35

ये वो दौर है जहाँ बातें इश्क की होती हैं,,
और फ़रमाइश जिस्म की,,
ये वो दौर है जहाँ भरोसा गैरो पर होता है
और आज़माइश अपनों की,,
ये वो दौर समाजसेवा की होती है,,
और होड़ सत्ता पाने की,,!!
ये वो दौर है जहाँ सब आइना है,,
मगर काँच कोई नहीं,,
ये वो दौर है जहाँ सब धोखा दे रहे
और खुद धोखा खाकर रो रहे,,
ये वो दौर है जहाँ बातों की सघनता से
अर्थ अपना वजूद खो रहे,,

#ᾰᾰʏṳṧℏ

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13 APR 2020 AT 10:03

अनपढ़, गँवार, बेबस, सीधे साधे
भरोसा ख़ुद पर मेहनतकश जिंदगी से जद्दोजहद
शायद यही मज़दूर की पहचान.

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12 APR 2020 AT 21:20

दर्जी, कपड़ा
ना किसी की इज्जत
शान सीते हैं,

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15 APR 2020 AT 16:39

शिक्षकों शिक्षा नेताओं सिर्फ ज्योतिषी सिर्फ
देते रहते पर वादा करते पर वर्तमान देखते
लेता है कोई? निभाते नहीं। भविष्य नहीं।

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12 APR 2020 AT 21:47

नव निर्माण
कर्ता ज्ञान का दीप
होता शिक्षक

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31 JUL 2017 AT 19:23

टूटते हुए तारो को देख चाँद को मांगते हो,
कभी टूटे सितारों को जुड़ता हुआ देख आया करो।


अपने चाँद को लेकर अनाथाश्रम जा आया करो।

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9 JAN 2021 AT 19:56

🐾" राज करने के लिए वजन नहीं, वजनदार शब्द चाहिए "🎀

🎀🐾
मनाते मनाते जनों को,
दिन बस ऐसे ही गुजर रहे थे!
चेहरों पर झुर्रियाँ मानों,
अब तो ऐसे बिखर रहे थे।
🐾🎀
जैसे वृध्दावस्था आई हो,
चेहरों पे झुर्रियाँ बिछाई हों।
मुख से निकल तो रहे थे शब्द,
फिर भी न लोग सुधर रहे थे।
🎀🐾
जवान थी रूह पर शब्द धीमे थे,
बिगड़े थे लोग, मैंने ठीक गिने थे।
सुधारने मैं चला था उन्हें शब्दों से!
पर शब्द तो अब उनसे ही डर रहे थे।
🐾🎀
कहना तो अक्सर फोकट ही जाता था!
नासमझों को आखिर क्यों समझाता था!
पता लगने में वर्षों लगे शब्द में वजन नहीं!
अनजान था, नादान था जरा व्याकुल यहीं।
🎀🐾
समाज सुधार का फिर प्रण ले;
वजनदार शब्द मैंने सहेजे पहले।
दिनों का अभ्यास रंग लाने लगा!
जो सुधारा समाज नज़र आने लगा।
🐾🎀
मालूम हुआ, लोगों ने शायद अब सही परखा था।
समझ अभी बुन रहे थे वस्त्र सभी व मैं चरखा था।

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