Shelly Upadhyay   (अल्पज्ञ@-)
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Joined 24 March 2019


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Joined 24 March 2019
20 JAN AT 13:32

छोड़कर तंबू रामलला अब अपने भवन में आयेंगे,
नवश्रृंगार से सुसज्जित रघुनन्दन स्वयं को पायेंगे।
शंखनाद से गूँज उठेगी अब पावन अयोध्या नगरी,
नीले अम्बर तक लहरायेगी सनातन ध्वाजा केसरी।
भारत के हर द्वार-द्वार पर घृत के दीपक जलेंगे,
चिर प्रतीक्षा के बाद हमें सीयावर रामचंद्र मिलेंगे।

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14 SEP 2023 AT 13:54

विज्ञान भी मानता इसे प्रामाणिक,
हम तो ठहरे भाई इस के आशिक।
तुम तो देखते सदा इसके अवगुण,
आओ आज बताती हूँ इसके गुण।
वर्णमाला लगती हैं कितनी सरल,
दंतुरित बाल करते इसकी पहल
जो लिखते हैं वही होता उच्चारण,
त्यागों अब पाश्चात्य का अनुकरण।
मातृभाषा मात्र भाषा ही नहीं होती
ये निरस हृदय को भी सरस बनाती।
चहुँओर हो रही हैं हिंदी की महत्ता
तुम ना करो अब तो इसकी लघुता
कब तक हिस्से आयेगा एक दिवस ?
ये सोच-सोचकर हिंदी होती विवश।
पूरे वर्ष की करते एक दिन भरपाई
फिर क्यों लगाते इस पर खड़ी पाई?
निज भाषा से जब गूँजेगा ये हिंदुस्तान
मेरी हिंदी को मिलेगा तभी उच्चस्थान।

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14 JUN 2023 AT 12:09

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6 JUN 2023 AT 19:20

म्हारे मनड़े री बात थ्णैही सुनाऊँ
म्हारा हिवड़ो में प्रेम रो मेह बरसे
म्हारी नैणां थ्हारी बाट जोवे पिया
नहिं भावै म्णैं कोई रुप सिणगार
थे तो रे समझो विरहिणी रो दुख
पपीहा ज्यों हिवड़ो पीव पीव करै
तारा गिण गिण रैण बिताऊँ म्हैं तो
पतिया में लिखूँ मनड़े री बात पिया
अब तोघर आवण की करौ थे बात।

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29 MAY 2023 AT 12:31

मिल गया मुझे तो गिरधारी रुपी हीरा,
जग कहे बावरी हो गयी ज्यूँ हुई मीरा।

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29 MAY 2023 AT 12:19

थारीओळूं मन में कटार ज्यों चुभै
आंख्या भी म्हारी बादळी सी बहे
चंहुदिस में दामणी दमक डरावै
सखी!आ बैरण बादळी तरसावै
कुण म्हारै हिवड़ा रो हाल सुणावै
रह-रहकर ओ बायरो म्णैं डुलावै
पीव विन म्णैं सावण कोणी सुहावै
नित पिया म्णैं थ्हारी ओळूँ सतावै
वेगा वेगा आज्जो थे म्हारा कानूड़ा,
थाणे मिलन सूँ म्हैं सातों सुख पाऊं
म्हारा मोहन मोहि प्रेम दरस दिखावै।

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12 MAY 2023 AT 23:22

दुआ मांगा करती है रात
हो जाये प्रियतम से बात।
घूरते रहते हैउसे ये नक्षत्र
प्रेम से भरा पहुँचा दे पत्र।
मिलन की जगी इक आस
की आ जाये वो मेरे पास।
बिखरी देखो आज चाँदनी
ज्यों मोहब्बत की आमदनी।
हो जाये मेरी ये दुआ कबूल
खिल जायेंगे मोहब्बत के गुल।

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30 MAR 2023 AT 18:24

हे आद्याशक्ति हे माँ भवानी,
तेरी महिमा जगत् ने जानी।
अर्धचंद्र सुशोभन करता भाल,
जगमग करता श्रृंगार लाल-लाल।
हे जगज्जननी! तुम सबसे प्रबल,
शरणागत को देती अपना संबल।
त्रैलोक्य में करे सब तेरी ही स्तुति,
संकट सदा हरणा हम तेरे संतति।
तेरे दिव्यरूप से आलोकित संसार,
आता जब-जब कष्ट हर लेती भार।
कर न पाया माँ तुम्हारा कोई बखान,
हे माँ भवानी ! तुम हो गुणों की खान।
कभी डोलित ना हो माँ मेरा ये विश्वास,
भक्तों की तुम पूर्ण करना हर अरदास।।
-अल्पज्ञ@






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30 MAR 2023 AT 7:14

मैंने जो किया
तुमने भी वही किया,
अच्छा हुआ कि राम ने
वो नहीं किया जो रावण ने किया।

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31 DEC 2022 AT 8:09

प्रिय थेथर प्रेमिका,

【 चिठ्ठी अनुशीर्षक में 】


तुम्हारी कृष्ण प्रणयिनी

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