Shelly Upadhyay   (अल्पज्ञ@-)
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Joined 24 March 2019


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23 JAN AT 8:29

मेहनत की तू हुंकार भर
मन तू थोड़ा धीरज धर
कर्मों में आयेगा असर
शेष ना रख कोइ कसर
आलस्य में तू मत पसर
मन तू थोड़ा धीरज धर
सफलता से सजेगा घर
हरदिन बस प्रयास कर।

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16 JAN AT 16:29

आया वसंत
झूम उठी प्रकृति
महकी धरा।

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14 JAN AT 21:32

सर्दी में कोई भी नहीं नहायेगा

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12 JAN AT 19:29

दुरियाँ भी हृदय में बढ़ा देती है नजदीकियाँ
हर राह को देखती हूँ अब टकटकी लगाकर
ख़त्म नहीं होती उनके लौटने तक ये दुरियाँ।

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12 JAN AT 19:16

विमल-विमल वैभवशालिनी विमला,
अक्षरमाला का आलोक है अलबेला।
शब्द सृष्टि सर्जनशालिनी माँसरस्वती,
भुवन भद्रंकर भव्यशालिनी माँभारती।

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11 JAN AT 18:04

क्या देश उन्नति करेगा शिक्षा से?
जीवन को मेरे मिलेगी नई दिशा
ज्ञान का प्रकाश फैलेगा शिक्षा से।

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10 JAN AT 16:57

माँ
जैसी ममता
अटूट अपनत्व समर्पण
निस्वार्थ स्नेह त्याग वात्सल्य
चुकता नहीं ममता का ऋण
ईश्वर ने माना ममता का महत्व
आये धरती पर लेकर वो भी बालरूप
माँ के समक्ष इठलाना तुतलाता बात-बात पर रोना
अपार वात्सल्य पाकर नतमस्तक हो गये माँ के समक्ष
ममता के ऑंचल में सब मनुष्यों का जीवन होता सफल।

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9 JAN AT 22:37

बीता यौवन
शेष बचा ये ढूँढ
सुनाये गाथा

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9 JAN AT 22:05

थोड़ी देर बैठकर मैं तो खाऊँगी अब पास्ता

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8 JAN AT 12:33

राह में नज़र मिलेगी उनसे धीरे-धीरे

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