ये वो दौर है जहाँ बातें इश्क की होती हैं,,
और फ़रमाइश जिस्म की,,
ये वो दौर है जहाँ भरोसा गैरो पर होता है
और आज़माइश अपनों की,,
ये वो दौर समाजसेवा की होती है,,
और होड़ सत्ता पाने की,,!!
ये वो दौर है जहाँ सब आइना है,,
मगर काँच कोई नहीं,,
ये वो दौर है जहाँ सब धोखा दे रहे
और खुद धोखा खाकर रो रहे,,
ये वो दौर है जहाँ बातों की सघनता से
अर्थ अपना वजूद खो रहे,,
#ᾰᾰʏṳṧℏ
-