आईना थे हम टूट गए , तुम "शक्ल दिखाने आए हो",
कहाँ कहाँ दिल और गिरा ,फिर नए ठिकाने लाये हो।
तुम्हारी बातों में नादन हुए , और हम टूटते चले गए,
छोड़ो अब गुज़रे ज़माने को ,क्यूँ दोहराने आये हो।
बड़ी हिम्मत मिली तेरे गुरुर से ,सफर मेरा संवर गया,
दिल की आग बुझा ली मैंने,अब क्या बुझाने आये हो।
बेवजह तलाश थी सहारों की ,हौसलों से सब निखर गया,
समंदर है मेरे खौफ में यहां,तुम किसे डुबाने आये हो।
नहीं दिया कुछ किस्मत ने ,मुक्कदर चमकाए बैठा हूँ,
अब पूरा आसमाँ जीत लिया ,क्या मुझे हराने आये हो।
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