ख़ुशनुमा ज़िन्दगी तेरी, मेरी मेहनत का किस्सा है,
मुझको ज़िंदा रखना भी तेरी साज़िश का हिस्सा है,-
वक़्त-ए-फैसला सब कुछ दिखाई दे रहा था
मैं सही था मगर फिर भी सफाई दे रहा था-
An innocent person has to prove his
honesty more than the corrupt people.-
सफाई अभियान चल रहा है भाई
चलो हम भी कुछ कर दे सफाई
वोट डालने की अपनी बारी आई
कामचोर नेताओं की करदे छटाई
दुनियाभर के ये वादे करते
ऊपर वाले से भी ना डरते
चुनाव जीतने पर है ये मुकरते
अपनी जेबें नोटों से भरते
सुरक्षा इनको मिल जाती
हवाई यात्राएं इनको भाती
जनता की फिक्र न इन्हें सताती
सुख सुविधाएं इन्हें है भाती
अपना वोट बहुत किमती है मानों
किमत इसकी तुम पहचानों
नोट की खातिर ना वोट बेचना
अपना स्वाभिमान पहचानों
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बहुत कुछ लिख लेने के बाद
अब जबकि— मै
सफाई के काम पर जोर देती हूँ
देखती हूँ...
एक अजीब सी विडम्बना...
जाले पर चोट के साथ ही
हवा में टंग जाता है
एक शब्द— 'घर'.. 'मेरा घर'...
देखते ही देखते
दीवार के आसपास
एक अजीब सा दुख फैल जाता है....
और... मकड़ी—
आठों पैर फैलाये
मेरी ओर लपकी चली आ रही है
जैसे—अभी पूछेगी 'घर'... 'मेरा घर'....
देखना
रातो रात—
बिना किसी सूचना के
दीवार पर— फिर से उग आयेंगे ...
वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने ....
मकड़ी एक जिद है.....
मेरी इच्छा के विरूद्ध.... ।
कविता
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खुलेआम हगना मूतना किसकी ये बिमारी है
संसार को ज्ञात है पुरुष की निज महामारी है-
सफाई करने में जो
आनंद और संतोष है
वो किसी और चीज़ में नहीं।
फिर चाहे सफाई
आंगन की हो,
घर की हो,
तन की हो;
या 'मन' की!
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एक शिकन नही देखी
आजतक उसके चेहरे पर....
इतनी सफाई से रफू करता है
वो अपने गमों की।-
जलना-जलाना... बहुत हो गया,
चलो अब....'दीवाली' मनाते हैं,
'दया का दीया' दिल में... जला,
चलो हम... 'मानव' बन जाते हैं।-