तू न थका है कि फ़िर हिम्मत कर तुझे और चलना है
क्या हुआ जो तू है अकेला मत लड़खड़ा तुझे और चलना है
जीवन पथ मुश्किलें डगर डगर की तुझे और गिरना सम्भलना है
तेरा साथी तेरा अकेलापन है कि मुस्कुरा तुझे और चलना है
ग़र मंज़िल नज़रों से धुँधला जाए तो आँखें मीच कर तुझे बढ़ना है
थपकी देकर स्वयं सो जाना की मन्ज़िल दूर है तुझे और चलना है
तेरा पंथी तू स्वयं है खुदका सारथी बन तुझे ही अपनी राह बनाना है
रोना मत किसी गड्ढे में गिर कर आँसू पोछ की तुझे और चलना है-
आज कल तो सफल होने के मायने ही बदल गए हैं,
जो इंसान ""पर्याप्त भोजन"" खा कर जीवत रह सकता है , वो पर्याप्त से ज्यादा खाकर या पाकर ख़ुद को सफल बताता है ,,,
जो इंसान ""पर्याप्त जगह "" में रहकर अपना पूरा जीवन खुशहाली से बिता सकता है, वो पर्याप्त से ज्यादा लेकर खुद को सफल बताता है,,,
जो इंसान ""पर्याप्त कपड़े"" पहन कर रह सकते हैं, वो पर्याप्त से ज्यादा कपड़े लेकर ख़ुद को सफल बताते हैं,,,
ऐसी काफ़ी चीज़े हैं जो पर्याप्त से ज्यादा प्रयोग करके ख़ुद को सफल बताते हैं,,,
और ये पर्याप्त से ज्यादा चीज़े हमें वास्तविक सुख नहीं दे पाती बल्कि ये बीमारी और हमारे दुख़ के कारण बन जाती हैं,
और ये वही चीज़े हैं जो समाज को अमीरी और गरीबी देती है,,
किसी को भीख में कुछ देने के बजाए ख़ुद को पर्याप्त में ही रखकर जीवन में खुश और सबसे बड़ा दान होगा ।।।।।
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सुख दुख की परवाह किए बिना ही
तेरा जीवन जीना सफल होगा-
*सफल समाज*
अगर हमारा रुझान समाज के हितों की ओर होता है!
तो हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता जाता है!!
सफल समाज परिवार और समुदाय दोनों को जोड़ते हैं!
संस्कृति पर गर्व है,परिवार के प्रति जबरदस्त निष्ठा रखते हैं!!
माता-पिता अपने बच्चों के लिए बहुत बड़ा त्याग करते हैं!
वे तबतक ख्याल रखते,बच्चे पैरों पर खड़े नहीं हो जाते हैं!!
बच्चे बृद्ध माता-पिता की देखभाल करना कर्तव्य समझते हैं!
इसके अलावा भाई बहन भी एकदूसरे के लिए त्याग करते हैं!!-
हम सब बड़भागी जो इस वर्ष भी मना रहे अपने कृष्णा का जन्मदिन😍😍
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनाएं सभी कान्हा प्रेमियों को❤🙏-
आज कल तो सफल होने के मायने ही बदल गए है,
जो इंसान""पर्याप्त भोजन""खाकर जीवित रह सकता है,वो पर्याप्त से ज्यदा खाकर या पाकर खुद को सफल बताता है,
जो इंसान "" पर्याप्त जगह""मे रहकर अपना पूरा जीवन खुशहाली से बिता सकता है, वो पर्याप्त से ज्यादा लेकर खुद को सफल बताता है,,,
जो इंसान "" पर्याप्त कपड़े""पहन कर रह सकते है,वो पर्याप्त से ज्यादा कपड़े लेकर खुद को सफल बताते है,,,
ऐसी काफी चीजे़ है जो पर्याप्त से ज्यादा प्रयोग करके ख़ुद को सफल बताते है,,,
और ये पर्याप्त से ज्यादा चीजे़ हमें वास्तविक सुख नहीं दे पाती बल्कि ये बीमारी और हमारे दुख़ के कारण बन जाती है,
और ये वही चीजे़ हैं जो समाज को अमीरी और गरीबी देती है,,
किसी को भीख मे कुछ देने के बजाए ख़ुद को पर्याप्त मे ही रखकर जीवन में खुश और सबसे बड़ा दान होगा।।।।-
मंज़िल मिल ही जाएगी, हम मेहनतकश लोगों से कब तक दूर जाएगी।
दिल कहता है कि एक दिन ये हम उद्यमी जन के क़रीब आ ही जायेगी।
"लक्ष्य की सुपुत्री" जी भर के हम सब की "अपनी बुआ परीक्षा" लेगी।
कब तक ये "अपनी बहनों विपदा और परेशानी" को लेकर के आएँगी।
इसके "बड़े भाई संघर्ष" भी तो आकर के बड़ा घमासान मचाते रहेंगे।
"इसकी चाची असफलता" भी हमारे आत्मविश्वास की बलि चढ़ाएगी।
"मंज़िल के पिता स्वप्न" भी आकर के हर रात हमारी नींद चुराते रहेंगे।
उनके आने से हमारे साथी उत्साह और संयम की बहुत याद आएगी।
चलते चलते हमारे पैरों की एड़ियाँ भी घिस जाएगी, उंगली फूल जाएगी।
"अपने गुरु मेहनत" का साथ नहीं निभायेंगे हम मंज़िल कभी नहीं आएगी।
कुछ अलग सा सृजन है ये, कुछ अलग सी कलाकारी है, अलग ख़ुमारी है।
अलग-अलग रास्तों पर चलते हुए हमारी प्यारी "मंज़िल दीदी" मिल जाएगी।
जिसने भी मेहनत किया "अभि" उसको आख़िरकार मंज़िल मिल ही जाती हैं।
ये मंज़िल एक परिणाम है आपके मेहनत, संयम, प्रतिभा का, जो रंग लाएगी।-
मैं सफल हूं क्यूंकि मैं संतुष्ट हूं
सर पर मेरे एक छत खाने को दो रोटी
शरीर ढकने को कुछ कपड़े हैं
हां मैं सफल हूं संतुष्ट हूं।
देखने को आंखें चलने को दो पैर है
कार्य करने लिखनेे को दो हाथ सुनने को दो कान हैं
हां मैं सक्षम हूं औरसफल हूं।
मैं उठ सकती हूं दौड़ सकती हूं
खुश्बू का तुम्हारे अनुभव भी कर सकती हूं
मैं सही गलत को भांप सकती हूं
अपने विचार रख सकती हूं
रो सकती हूं और हंस भी सकती हूं
भावनाओं को व्यक्त कर सकती हूं
तो मैं सफल हूं।
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फक़्र कैसे न करू अपने भाईयो पर मैं
जो बचपन से मेरे हाथ मे झाडू के बजाय कलम थमाते है
इस उम्र मे शादी के बजाय
देश के लिए कुछ करने की सपने दिखाते है
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