QUOTES ON #सद्भाव

#सद्भाव quotes

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5 NOV 2020 AT 8:52

भावों से कोई चोटिल ना हो
अभिव्यक्ति हो तो...आईने सी..!

शब्द हो...मर्यादा से संयमित
आहत ना हो... कोई दिल...!

कटुता के .....अनुचित तीर
करते कत्ल ...सौहार्द का..!

लेखनी होती .....तलवार सी
सोचकर लिखना...शब्दों को...!

शब्दों से ही....परिचय- पहचान
यूँ तो सभी अजनबी.....भीड़ में..!

चिंगारियों को .....हवा ना दो
जला देती है....आत्माओं को...!

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20 AUG 2021 AT 16:54

"मीठी जिसकी वाणी है"

मीठी जिसकी वाणी है,
प्यारा हर वो प्राणी है।
करके जिसने मृदुल व्यवहार,
जीत लिया हो जिसने संसार।
बसते हैं अच्छे संस्कार जिसके आँगन,
मिलती हैं उसको खुशियों अपरंपार ।
निस्वार्थ भाव से करता है जो सेवा।
मिलती उसको सद्ज्ञान की मेवा।
मानव मंगल मिलन की बेला,
दिखा अग्रसर जो अलबेला,
सर्वगुण सम्पन एवं ज्ञानी है।
मीठी जिसकी वाणी है,
प्यारा हर वो प्राणी है।

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22 JUN 2017 AT 15:44

प्रेम-सद्भाव का जीवन सपन हो गया,
दिलों की खलिश में इंसा मगन हो गया।
आदमी बना आदमी का दुश्मन यहाँ,
गीत-संगीत सब कुछ ही दफन हो गया।

विधा-मुक्तक

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जो "भड़काए"
उसे दरकिनार करो
जो "बढ़ के आए"
उसे अंगीकार करो

😊अलगाव नो😊
😊सद्भाव यस😊

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3 AUG 2021 AT 10:16

सदा सभी का आपस में सद्भाव रहे।
किसी से न कटुता का कोई भाव रहे।।
प्रेम व विश्वास का न कभी अभाव रहे।
सदा मृदुवाणी व हंसमुख स्वभाव रहे।।
मिलजुल कर हम सब काम करें।
अपना व अपने देश का नाम करें।।

कहते हैं
जड़, जमीन और जोरू के लिए होती हरेक जंग है।
अरे, उसमें खुश रह यारा जो तेरे पास व तेरे संग है।।

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7 JUL 2021 AT 13:00


मीत,गीत प्रीत-रीत, जीवन का है संगीत,
गुनगुनाइए इसे, शोर न मचाईये।
गेह प्रेम, क्षेम, स्नेह, भाव दृग नेह मेह,
तंग अंग रंग-भेद,मत समझाइये।
सुर लय ताल देख, राग का कमाल देख,
हृद सद् भाव धुन,आनन्द उठाइये।
रखेंगे जो मेल-जोल,बिना किए मोल-तोल,
जीवन में रस घोल, मृदु फल पाइये।

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26 MAR 2021 AT 8:04

किसी की तारीफ करना है तो चरित्र की करिए चित्र की नहीं
चित्र (सुन्दर चेहरा)बनाने में देर नहीं लगती हैं ।
किसी की प्रसंशा - गुण , व्यवहार ,विचार , संस्कार ,
चरित्र , सद्भाव, संस्कृति, व्यक्तित्व की करिए ।
उसके चेहरे और शरीर के ढांचे को देखकर नहीं ..।।
तारीफ जो प्रत्यक्ष सौंदर्य है उसकि मत करिए
तारीफ उसकि करिए जो अप्रत्यक्ष सौंदर्य हैं ..।।

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मैं से बेहतर हम है।
मैं! अहम भाव,
तो हम! सदभाव है।
मैं! मय की तरह,
मैं को पी जाता है।
हम! इत्र की तरह,
हमसब को महकाता है।
मैं! न्युनता का बोध,
तो हम! सर्वोतम प्रबोध है।
अत: हे मानव!
मैं से बचकर,
हम का अंगीकार कर!!

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25 AUG 2018 AT 12:10

थोड़े बड़े पैमाने पर रक्षा बंधन मनाएं
थोड़ी कोशिश करके हिंदुस्तान याद रखें..
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई भूल जाये..💐🇮🇳

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समरसता का बांध के पुलिया, बढ़ते जायेंगे।
भेदभाव हर मन का मिटाकर, देश सजायेंगे....

कर्तव्य-न्याय के अग्नि कुंड, फिर से दहकायेंगे।
कर अनुसरण विवेक-धैर्य का , चलते जायेंगे...भेद.....

कर खंड-खंड आक्रांताओं ने, थी धारा तोड़ी विविधताओं कि।
हम जन-जन के मन जोड़ पुनः, उसे अखंड बनायेंगे...भेद...

संतानें हैं हम ऋषियों कि, मर्यादाओं के प्रतियों की।
रग-रग में है बहती, पुरुषार्थ चतुष्टय ज्वाला सी...भेद...

दया ही पुजा क्षमा वंदना, परमार्थी तप वालों के।
स्वांस-स्वांस अनवरत गान, हम जन गण मन गायेंगे....भेद....

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