Shubhendra Jaiswal   (shubhendra)
413 Followers · 147 Following

रहूं ना रहूं मैं... महका करूं ..
Joined 2 June 2017


रहूं ना रहूं मैं... महका करूं ..
Joined 2 June 2017
25 APR AT 19:31

भीलों ने वन बांट लिया है
चंदा सूरज बांट रहे हैं,
सब चुप होकर देख रहें बस
वो रंगों को छांट रहे हैं‌।

अनहोनी की ऐसी आहट
दिन हम कैसा काट रहे हैं ?

-


25 MAR AT 19:45

अवसादों का जग कातर मन
बहक रहा झुलसे वन में,
मरते स्वप्नों की चीखें हैं
नीर भरे इस लोचन में।

-


10 MAR AT 15:05

चाय में चीनी कम
छू कर मीठा कर दिया
ओ सजन हमदम।

-


8 MAR AT 20:57

भोर के उजास से,दीप के प्रकाश तक 
अनवरत सहेजती,प्राण के प्रवास तक।

मौन  गीत  गा  रही,रोज  ‌ गुनगुना  रही 
घोर   अन्धकार  में भाग्य को सुना रही।
रीढ़  की  प्रवीणता, प्रीत   में   नवीनता 
हर घड़ी प्रयास ही, सांस के निवास तक।

शक्तिहीन शक्ति  हो,शक्ति मात्र व्यक्ति हो
पूज्य हो भ्रमित कथा,कथ्य सत्य उक्ति हो।
नेह    चाहना    सदा,  देहयष्टि   याचना 
चींटियां रहीं सदा, शेष मृदु मिठास तक।

कल्प  चक्र   वेदना, तप्त  अग्नि  भेदना 
जानकी कि द्रौपदी, द्वंद   मूल   चेतना।
सत्यता  कठोर  है, है  अशेष  भावना 
साधना पथी बनें, नारियां प्रभास तक।

-


8 MAR AT 14:34

भोर के उजास से, दीप के प्रकाश तक
अनवरत सहेजती,प्राण के प्रवास तक।
रीढ़ की प्रवीणता, प्रीत में नवीनता
हर घड़ी प्रयास ही,साँस के निवास तक।।

-


17 FEB AT 16:59


*************
प्रतिध्वनित हैं अन्ध कूपें
मोक्ष देतीं अट्टहासें,
हो रहे उद्’घोष आओ..
तोड़ दो सारे मिथक को
पुण्य पथ पर निकल कर
स्वजनों का दान करने
मौत का स्नान करने !
**************

-


2 FEB AT 21:16

अक़्स अपनी फना हो गई।

-


30 JAN AT 0:00

चले दर से तुम्हारे हम
पहाड़ों सा उठाए गम।
किसे आवाज दें बोलो
खताओं की सुनो सरगम।
लगाए तुम रहो मजमा
हमें सदमा मिले हरदम।
मुरादें हों न हो पूरी
सियासत का उठा परचम।
मरें डूबे दबें कुचलें
चलो संगम चलो संगम।

-


29 JAN AT 16:45

दिवस यह पावनी सुखदा 
करूं मैं कामना ईश्वर,
सुभग आशीष हो तेरा 
सदा सौभाग्य का दें वर।
हमारी भी शुभेच्छा है 
बधाई है सुते-प्रियवर,
रहे आँचल भरा सुख से 
वरद हों ईश जीवन भर।
अशेषी हो अनन्ता हो 
रहे अहिवात यह सुखकर,
अनन्या हो जगत तेरा 
अमिट आनन्द से भर कर।

-


26 JAN AT 12:27

 तुझको नमन..माँ_भारती
यह प्यारा वतन,यह  मेरा  चमन
सागर की लहर,नीला यह गगन..!
हिय में तू रहे,है तुझको नमन..
माँ भारती..माँ भारती
ॠतुएँ हैं स-दल,ॠतु-राजा प्रबल,
हरितिम है लसित,हिम आलय सबल!
मरु  क्रीड़ा करे,भर करके तपन!
है तुझको नमन!
माँ भारती..माँ भारती!!
ऐसी यह धरा, पावनता भरा
केसरिया सदन,आँचल है हरा!
धवला है हृदय,करते हैं जतन!
है तुझको नमन,है तुझको नमन
माँ भारती..माँ भारती!!
© Shubhendra

-


Fetching Shubhendra Jaiswal Quotes