आदित संगे अईहS अँगनवा हे छठी मइया!
तहार करSब हम पूजनवा हे छठी मइया!
फलवा मँगईनी अउर दउरा सजईनी
सुपवा के संगे माई ऊँखियो ले अईनी
चार दिन के आईल बा परबवा हे छठी मइया!
ठेकुआ खजूर सSजल दउरा में भारी
जोड़े-जोड़े फलवा अउर पान सुपारी
माथे पे दउरा लेके जाई सभे घटवा हे छठी मइया!
जल बीच ठाढ़ होखे सुरुज मनाइब
दूध के अरघ दीनानाथ के दिआइब
फूले-फले सभे जन अउर आपन देसवा हे छठी मइया!-
मेरा कोई नाम नहीं है!............🇮🇳🇮🇳❤️💕💗😍😘
सुनि ली ना हमरो अरजिया,
हे छठी मइया!
बिटिया तS करेले बरतिया,
हे छठी मइया!
नारियर, ठेकुअवा जे दउरा सजाइब,
ननदी बोलाइब माई कोसिया भराइब।
नदिया के तीरे हम देइबे अरघिया,
हे छठी मइया!
सजा दीं हे आदित उजड़ल बगिया हमार,
राम जइसन होरिल खेले गोदिया हमार,
सीता जइसन सुगनी दीं चहके दुअरिया,
हे छठी मइया!
बरतिन के मनसा पुरायीं हे दीनानाथ,
सेनुरा के टहटह बचा लीं हे दीनानाथ,
हमनी पे बनल रहे रउरो अशीषिया,
हे छठी मइया!-
धरा रो पड़ी है, गगन रो पड़ा है,
पुनः आज अपना चमन रो पड़ा है।
छूकर के वीरों के चरणों को अब,
तिरंगा बना जो कफ़न रो पड़ा है।-
सो गए हैं वीर भारत के तिरंगा ओढ़ कर,
चल दिए हैं नेह के वे सारे नाते तोड़ कर।
अपने दिल से तुम कभी भी उनको न बिसराना,
मर मिटे जो देश पर मासूम बच्चे छोड़ कर।-
सूरज की किरणें भी गाथा आज गा रही हैं, भारतीय गणतंत्र पर्व की बधाई है।
लहर-लहर लहरा रहा तिरंगा आज, भारत में पूरे गूँज रही शहनाई है।
शेखर, सुभाष, अशफ़ाक और बिस्मिल जी, भारती के लालों ने आजादी दिलवाई है।
तिरंगा कफ़न ओढ़े पिया आये मण्डप में, प्रेयसी ने रक्त की रोली माथे लगाई है।-
सुनि लीं ना हमरो अरजिया हे छठी मइया !
बलका तोहार माई कइलस बरतिया ।
नारियर , ठेकुअवा जे दउरा सजाइब ,
नदिया के तीरे माई देइब अरघिया ।
सुनि लीं ना हमरो अरजिया.....
हमरो तS गोदिया में दे दीं होरिलवा ,
सीता जइसन बिटिया दीं , महके दुअरिया ।
सुनि लीं ना हमरो अरजिया.....
अपने में लड़S ताटे सगरो तS लोगवा ,
देखउतीं हे सूरुजदेव रउरे डगरिया ।
सुनि लीं ना हमरो अरजिया.....
बरतिन के मनसा पुरायीं हे दीनानाथ ,
हमनी पे बनल रहे हरदम अशीषिया ।
सुनि लीं ना हमरो अरजिया.....-
साहित्य के वो सतत पुजारी यूँ मुँह मोड़कर चले गए ,
सारे प्रयास बेकार हुए , वो प्राण छोड़कर चले गए ।
जीवन पूरा ही किया समर्पित मातृभूमि की सेवा में ,
हमसे तो दिल का गठबंधन वो आज तोड़कर चले गए ।-
हो समर्पित वतन पे ललन चाहिए ,
भगत , आजाद जैसे रतन चाहिए ।
मृत्यु के बाद यदि जन्म फिर से मिले ,
तो भारत ही मुझको वतन चाहिए ।-
पांचाली की लाज लुटे , किन्तु सभा मौन रहे , नहीं हमें कभी ऐसे , धर्मराज चाहिए ।
अपने ही घर से निकाली गई जानकी जी , नहीं हमें कभी ऐसा , रामराज चाहिए ।
जनता कराहती है , सिसकती भारती है , देश को बचा सके जो , बलराज चाहिए ।
सभी देशद्रोहियों को , पैरों तले कुचल दे , हमको तो आज ऐसा , गजराज चाहिए ।-
भारत की वसुन्धरा , शस्य श्यामला धरा हूँ , मुझको बचा सके जो लाल आज चाहिए ।
देश के जवानों सुनो , प्यारे कर्णधारों सुनो , जमे हुए लहू में उबाल आज चाहिए ।
भारत में रहके भी , पाक - पाक करते हैं , ऐसे काले कौवे तो कंगाल आज चाहिए ।
तिरंगे की शान कभी कम नहीं होने पाए , देशभक्ति वाली ऐसी ज्वाल आज चाहिए ।-