चन्दन शोभित हरि बदन, सुरभित है ब्रजधाम।
चरण दर्श कर धन्य हम, कुञ्ज बिहारी श्याम ।।
कुञ्ज बिहारी, नयना तारी, आई द्वारे ।
मैं हूँ लाघव, तुम हो माधव, तारणहारे ।।
प्रेमिल गाथा, गाऊँ नाथा, उर अति रंजन ।
कृष्ण प्रीत में, घुले गीत में, ब्रज रज चन्दन ।।-
धुल गया सिन्दूर
आँसुओं की धार में
आहों की प्रतिध्वनि
करती रही शोर... किन्तु
वेदनाएँ बहती रही मौन...!!-
स्वर्णिम आभा से क्षितिज,आच्छादित चहुँओर ।
कनक रश्मियाँ कर रही, अभिनन्दन शुभ भोर।।-
घुट रही शुचि साँसे, कश्मीरी हवा की
दहशतगर्दों ने फिर, जहरीली दवा की।
गूँजी है मासूम चीखें, हिमशिखरों के मध्य में
बेकल नैना ढूँढे संगी ,मृत बिखरों के मध्य में ।
आज हुई है स्वर्ग धरा, फिर से कलंकित
झेलम के आँसुओं से, है लहरें रक्तरंजित ।
दहक उठा है पात-पात,धर्म-जाति के शोलों से
बुझ न पाए यह ज्वाला ,खण्डित हिम गोलों से ।
आँसुओं के सैलाब में, वहशी क्या कोई डूबेगा
पत्थरों को देनी होगी चोट, तब जा के कोई टूटेगा।-
जो किस्मत की उलझी लकीरों में लिखा था
वो ज़िन्दग़ी की किताब में दर्ज ही नहीं था
सफ़हे पलटते ही रहे ज़िन्दगी के उम्र भर
कोरे पन्नों को फिर भी हम से ही गिला था।-
राम नाम में सार समाया, राम सत्य आधार है।
पाहन तिरते राम नाम से, राम स्पर्श भव पार है।।
मन बैठा मारीच उबारे, सिमरन मधु हर याम जी ।
छँट जायेंगे घने घनेरे ,बोलो रसना राम जी ।।
(शेष रचना अनुशीर्षक में पढ़िए......)-
हृद का खोलो द्वार, आस में भक्त तुम्हारे ।
लोचन में भर नीर, तुम्हें यह दास पुकारे ।।
करुण कलश हैं रिक्त,भरो ममता से मैया ।
सिन्धु धार के मध्य, डोलती मेरी नैया ।।
भोर-साँझ धर दीप, करें ज्योतित घर द्वारे ।
गीतों की मृदु गूँज, नित्य लगते जयकारे ।।
विघ्न हरो जगदम्ब, शरण में प्यारे आये ।
भावों का भर इत्र, सुमन श्रद्धा के लाये ।।-
बेकल है यह मन बावरा मेरा
तन्हाई दिल को रुलाई देती है
जब-जब पलकें बंद करती हूँ
आहट तुम्हारी ही सुनाई देती है
फलक से बरसती चाँदनी में
छवि तुम्हारी ही दिखाई देती है
जब भी रात गहराती हैं माँ
यादें सुकूनभरी पुरवाई देती है
बरबस बहती इन आँखों को
अक्सर ममता छिपाई देती है-
सोलह दिन गणगौर रचाई, वंदन हो नित भोर में।
कर सोलह श्रृंगार छबीली, बाँधे प्रेमिल डोर में।।
रूप सदृश यह शिव-गौरा का, भरता हृदय उमंग है ।
माँग रही सौभाग्य सुहागिन, हृदय भरे रस रंग है।।
शेष अनुशीर्षक में पढ़ें ---
सभी मुरादें पूरी हो हर सवाली की
रहबरी हो मेरे रब की हो ईद मुबारक
रहे तबस्सुम हर अफ़सुर्दा चेहरे पर
दुआओं की दें सौगात हो ईद मुबारक
झरे आँखों से शिकवे जब मिलें
दिलों में रहे मोहब्बत हो ईद मुबारक
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