Madhu Jhunjhunwala   (मधु Jhunjhunwala "अमृता")
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Joined 19 August 2018


Joined 19 August 2018
19 HOURS AGO

खुश रंग नजारों से,खिलो तुम बहारों से,
नेह भरी फुहारों से,
जीवन भीगा रहे ।

आशाओं के मोती मिले,खुशी के कमल खिले,
लेखनी तुम्हारी सदा,
शुचि धारा-सी बहे।

कर्मपथ दीप्ति रहे, यश-मान-कीर्ति रहे,
नेह निधि भरी रहे,
कान्हा की कृपा रहे।

दुआएँ हजार देती,कन्हैया से उम्र लेती,
सौभाग्य-समृद्धि बढ़े,
मधु सदा यही चहे।

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12 JUL AT 21:22

मधुवन में मन मोहते, कृष्ण-राधिका आज ।
मधुर-मधुर धुन गूँजती, मधुरिम वंशी साज।।
बिखरा है माधुर्य अति, ब्रज रज में शृंगार,
नैन भरे अनुराग में, खुले प्रीति के राज।।

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9 JUL AT 23:29

मैं कुछ तुम में बाकी रहूँगी
कुछ मुझमें तुम बाकी रहना

मौन संदेशा नैन कहें अगर
तुम पलकें नम नहीं करना

संग वेदना के अधर मुस्काएँ
पर मृदुल नयन चाहेंगे झरना

स्मृति पृष्ठ जब-जब खुलेंगे
बीते पल आँखो में भरना

बिछुड़न के क्षण स्वीकार हमें
मगर आज अलविदा न कहना

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9 JUL AT 22:05

मृत संवेदनाओं के मध्य
अंतिम श्वास लेता.... जीवन
पाषाण शिलाओं में
नमी खोजता....जीवन

अबोध मुस्कान में
स्पंदन भरता.....जीवन
ममता के आँचल में
साँसे लेता.... जीवन

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6 JUL AT 0:10

स्मृतियों के पृष्ठ आज फिर से पलटने लगी हूँ
पलकों पर आ ठहरा सावन झटकने लगी हूँ

मौन अनुभूतियाँ न मैंने लिखी न तुमने पढ़ी
बीते लम्हात ने न जाने कितनी कहानी गढ़ी

ममता की दहलीज पर मचलता लड़कपन
अजनबी राहों पर बिछुड़ा जवाँ होता बचपन

साँझ के धुंधलके में गुम यादें जो ठहर गई
भीगी दिल की ज़मीं न जाने कितनी पहर गई

बिछुड़े सफर में कई संगी थमा चले यादें सुहानी
खोली है दिल ने फिर आज वही किताब पुरानी

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21 JUN AT 8:47

नित्य साधना श्वास को, करके प्राणायाम ।
षड रिपुओं से मुक्ति हो,तन पाये सुख धाम ।।

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20 JUN AT 21:11

ठगती माया मोहिनी, मिथ्या ये संसार ।
सच्चाई को थामकर, माँझी जाना पार।।

संस्कारी संसार का, ज्ञानी से निर्माण ।
मर्यादा से रोकते, अज्ञानी के बाण ।।

मिथ्या ये संसार है, काले सारे रंग ।
काटो माया फंद को, सत्संगी के संग ।।

शुष्क हुई संवेदना, नीरस मन के तीर ।
कौन घाट पानी भरें, भरी जगत में पीर ।।

रक्त पिपासा बढ़ गई, हृदय अहम से सिक्त।
मैं की बढ़ती भूख में, करुणा से उर रिक्त ।।

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18 JUN AT 23:05

मगर इश्क़ में कोई रिआयत नहीं है

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18 JUN AT 22:48

मुख्तसर-सा दर्द है इस दिल में चारागर
पूछकर हाल मेरा दर्द-ए-दिल को हवा न दे

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11 JUN AT 23:57

कोरी मन की चूनरी , रंगी प्रिय के रंग ।
छोड़ जगत की चाकरी, चल दूँ साजन संग।।

अंतस तक भीगी पिया, प्रीत रंग में आज ।
आनन बिखरी लालिमा, पंथ निहारें लाज ।।

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