Dinesh kumar   (दिनेश चौधरी)
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Joined 11 September 2020


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11 HOURS AGO

मासूम चेहरे पर अश्कों की
बरसात अच्छी नहीं लगती।
हर मुलाकात के बाद हिज्र की
कोई बात अच्छी नहीं लगती।
मुशायरों में होता रहता जिक्र आपका।
ये इश्क है जनाब यहां सरगोशियों की
बिसात अच्छी नहीं लगती।

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16 HOURS AGO

‘‘ कुछ कर्म एवं क्रियाओं का अनुभव मनुष्य को उम्र के अलग अलग पड़ाव पर होता है,
इससे पहले किसी भी वास्तविकता का प्रमाण उसके लिए कल्पनामात्र होता है ’’

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1 MAY AT 21:27

उनको लगता है कि हम उनकी खूबसूरती पर फ़िदा हैं।
गलत!
हम तो खुदा की कारीगरी पर फ़िदा हैं।
ये जिस्म कल भी ख़ाक था और आज भी ख़ाक है।

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1 MAY AT 19:49

आप दौलत कमाकर अमीर न बने,
मैं लफ्ज़ कमाकर भी गरीब न रहा।

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1 MAY AT 18:01

जुनूं में लबरेज़,
आदतों में शुमार ना करो।
यहां कोई किसी का नहीं होता
सिवा खुदा के।

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1 MAY AT 15:59

इबादतों में शुमार तुम हर वक्त रहते हो,
खुदा बने हो तो इफ्तिखार भी हकीकत में दो।

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30 APR AT 16:26

तलाशो न मेरा वजूद गुज़रे हुए पल में,
अरे साब हम तो आज में जिन्दा हैं।

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30 APR AT 14:59

‘‘सोच से लेकर साक्ष्य तक का माध्यम ही ध्यान है ’’

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29 APR AT 19:01

‘‘लोग कहते हैं कि रिश्तों को समय देना चाहिए।
लेकिन जब तक देना चाहिए तब तक समय का मूल्य हो।
जब मूल्य में गिरावट आना प्रारंभ हो जाए तब
समय का संकुचन कर लेना चाहिए’’

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29 APR AT 6:23

पल्लू में बांध रखे हैं अरमान मेरे,
जुल्फों ने डिगा रखे हैं ईमान मेरे।
कमबख्त दोनों ही गिराकर लेटे हैं,
अब कैसे थाम लूं मैं ये तूफान मेरे।

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