सनातनी_जितेंद्र मन   (सनातनी_जितेंद्र मन)
617 Followers · 332 Following

read more
Joined 6 April 2021


read more
Joined 6 April 2021

मौत हमने ही चुना।
पैगाम था मुहब्बत का,
नफरती अंजाम हमने ही बुना।

-



जिद्द! ना कर ए-जिंदगी.......
तुझे पाने के एवज़ में, खुद को हार बैठे हैं।

-



....उतना रहा नहीं...
मैं कभी जितना होता था।।

-



बीता समय आये न आये....
किन्तु सुधार के अवसर जीवन में अनेकों बार आते हैं।

तात्पर्य👉बीते समय और उनसे उपजे अच्छे-बुरे कर्मों का शोक-मलाल छोड़कर आने वाले अवसरों का सदुपयोग नवसृजन के लिए करना ही वास्तविक पुरुषार्थ है....

आइये इस दीपपर्व पर हम सभी एक-दूसरे के प्रति संकल्पबद्ध हो नवपल्लवित तरु कि भांति शांति - सुख - समृद्धि एवं आरोग्यता कि कामना से दीपदान करें।।

💐शुभ दीपावली की शुभकामनाएं💐

-



ये कुशमित अदायें, ये तिरछी निगाहें...
ले मौसम कि मस्ती, किधर जा रही हो।
ओ खिलखिलाती सहर!, क्यों?...कहर ढा रही हो..

सुन! यौवन कि इंदु, ये तेरे चञ्चल इशारे.....
कह मन! मुराद, किस नफीस को पुकारे।
है रुत कौन? सा,...जो बही जा रही हो...
ओ खिलखिलाती सहर!, क्यों?...कहर ढा रही हो..

-



अकेला! नहीं, तू इस जहां में,
मारे! और भी हैं....
कुछ यार कि रुश्वाई के...,
कुछ प्रेयसी कि जुदाई के।
हैं प्रीत! कि बेवफाई के...,
तो कुछ जिंदगी कि तन्हाई के,
बेचारे और भी हैं.....मारे और भी हैं....अकेला नहीं तू

-



दिखावे कि बस्ती है, न पूंछो यहां किसकी हस्ती है।
है जिंदगी महंगी, यहां...मौत सस्ती है.....
कुछ पलों कि मस्ती है, क्यूँ इतनी जबरदस्ती है।।

-



मतलबी लोगों के हैं, ये तलबी रिश्ते सारे..
दरकार! दारोमदार कि, यहां हर-एक को है।।

-



रिश्ते रूह से हों, तो सबर आ ही जाता है....
यहाँ मतलबी! यारों का, कोई घर नहीं होता।।

-



धोखे कि जिंदगी है,
जिंदगी ही धोखा है।
हो आदी! जो धोखों के,
खाओ किसने रोका है।।

-


Fetching सनातनी_जितेंद्र मन Quotes