ये दिल्लगी ना जाने क्यों सताती है " साहिबा "
हम तो इश्क करते हैं नाजाने वो क्यूं तड़पाती है।-
ये जिंदगी आ गले लगा ले
क्यों इतना सताती है तू
थोड़ा सा मुस्कुरा ले
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चाय की हर घुँट कभी-कभी बड़ा है सताती,
माँ के हाथों की बनी चाय बड़ा है याद आती ।-
Zindagi Hame Kyu Satati Ho...? 😈😢
kabhi Hame kyu itna rulati Ho...!😭-
बारिश की रिमझिम में,
मुझे याद तेरी आती है,
महक फिर मिट्टी की,
मेरी जान ले जाती है,
साज़िश थी लोगो की,
और बेवफ़ाई हो गई,
सोचता हूँ जितनी मर्तबा,
उतना ज्यादा सताती है।
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दिन भर चिपकने नहीं देती मुझको,
मुझे ख़ुद से दूर भगाती है
कोई और ना आ जाये मेरे सपनों में यही सोच
हर रात मुझे बाहों में जकड़ कर सुलाती है
कम्बख़्त 'मेरी वाली' मुझे,
बहुत सताती है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
जिंदगी की फिक्र धुंए में नहीं उड़ती
हर दिन बीतने पर रोज ये तो बढ़ती ।
किस तरह मिलेगी कल रोटी ये चिंता सताती है
सच में संघर्ष की जिंदगी हर किसी को जीना सिखाती है ।-
आगमन की प्रतीक्षा किए रात भर,
जलाती रही मधुर यामिनी रात भर
आहटों से कंपकंपाता रहा मेरा मन
वेदनाएं सताती रही रात भर-
मिट्टी की महक महकाती थी, अब तुम्हें सताती होगी,
जब जब तुम बारिश में तुम उस बगिया में जाती होगी।।
दूर चले जाओ मुझसे, ये कहकर मुझसे नाता तोड़ा था,
अब अकेले में तुम्हें, तुम्हारी अपनी ही परछाई डराती होगी।।
दिन तो चलो माना कामों में तुम बिता ही लेती होगी,
पर ये तो बताओ रातों को कैसे तुम समझाती होगी।।
वो गेसूओं से अठखेली करना, वो लबों को चूम जाना,
याद आता होगा, जब देख के आईने में ख़ुद को सजाती होगी।।
'कुमार' से गिला शिकवा कर लेती थी वज़ह - बेवज़ह तुम,
अब कैसे इन दूरियों का इल्ज़ाम तुम मुझपर लगाती होगी।।
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तनहाई में आती काल्पनिक याद नहीं है तू ,
भीड़ के बीच भी सताती वास्तविकता की आस है तू ।-