अभी तो आये हैं हम, अभी पहचान बनाना बाकी है,
इन सतरंगी सपनों की अपनी, दुकान लगाना बाकी है।
सब बहुत ही सुंदर लिखते हैं, माहिर हैं अपने फ़न में,
इन फनकारों की दुनिया में, अपनी शान बनाना बाकी है।
किस किस का मैं नाम लिखूं, सम्मान बड़ा ही देते हैं,
इन सुंदर लोगों को अपना, चेहरा दिखना बाकी है।
सब जानी हैं सब ज्ञानी हैं, सब बड़े बड़े ही नामी हैं,
इन नामी लोगों में बस अपना, नाम बनाना बाकी है।
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