Tumhe zindgi bhar yaad aane ke liye
Main jaa rha hu khud ko mitane ke liye-
दौर कैसा भी था मेरे सामने
ज़रा भी वो मुश्किल ना लगा
जब दिल लगा तो जॉब न थी
जब जॉब लगी तो दिल ना लगा-
सिर्फ आर्जुओं से काम नहीं होगा कर्म करना होगा
भरत सा भाई चाहिए तो तुम्हें श्री राम बनना होगा-
उठ गए कदम सबरने के लिए
इक रोज़ खुद में बिखरने के लिए
खामखा ही लोगबाग हैरान है
ये भी तो रास्ता है मरने के लिए
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ये शब्दों का कारवां रुकता है क्या देखते हैं
जो कसमें ली थी हमने देखते हैं
जुड़े थे लोग जिस एक आशियां से
टूटी डाल सा है हाल उसका
कितने ही सूखे पत्तों ने बनाकर खाद डाली
मगर अब तक यहां पर है बेहाली
चलो तुम जाओगे तो आयेगा कोई और
पर तुम सा ना मिलेगा देखते हैं
YQ...
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वक्त रेत की तरह फिसलता जाता है
पल, चोर जेब में संभलते जाते हैं
हंसते हंसते दांत बत्तीस हो जाते हैं
और जिंदगी के चार दिन निकलते जाते हैं
आंसू और भी गाढ़े हो जाते हैं
मुस्कुराहट की लकीरें गहरी हो जाती है
चलते–चलते कदम बेबस हो जाते हैं
और जिंदगी के चार दिन निकलते जाते हैं
दोस्ती की मेंहदी जब चढ़ने लगती है
निजी जीवन में कुछ आहट बढ़ने लगती है
ढलते–ढलते इरादे सब बुत हो जाते हैं
और जिंदगी के चार दिन निकलते जाते हैं-
पल में सुख दुख रंग बदलते चहरे का
हर इक शख्स का हाल यहां हैं बंजारा
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बचपन की बातें कितनी नादानी थीं
अब लगता है सब कुछ ही बेमानी थी
वो सबको सच कहना दिल शफ़्फ़ाफ़ रहना
सब बच्चों पर ही दुनिया को आजमानी थी-
सितम नहीं घटे इक उम्र गुजारी हमने
वो मिले ऐसे बिछड़ने की कयामत लेके-